UNESCO's Memory: यूनेस्को के ‘विश्व स्मृति रजिस्टर’ में भगवद् गीता, नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियां?, पीएम मोदी बोले-हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 18, 2025 12:52 IST2025-04-18T12:51:41+5:302025-04-18T12:52:34+5:30
UNESCO's Memory: 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वैज्ञानिक क्रांति, इतिहास में महिलाओं के योगदान और बहुपक्षवाद की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रविष्टियां रजिस्टर में शामिल की गईं।

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UNESCO's Memory: भगवद् गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र की पांडुलिपियां उन 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रहों का हिस्सा हैं जिन्हें यूनेस्को के ‘विश्व स्मृति रजिस्टर’ में शामिल किया गया है। यूनेस्को के अनुसार, 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वैज्ञानिक क्रांति, इतिहास में महिलाओं के योगदान और बहुपक्षवाद की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रविष्टियां रजिस्टर में शामिल की गईं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इसे ‘दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण’ बताया।
Bhagavad Gita, Natyashastra inscribed in UNESCO';s Memory of World Register, PM Modi says, "Proud Moment"
— ANI Digital (@ani_digital) April 18, 2025
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PM Modi says, "A proud moment for every Indian across the world! The inclusion of the Gita and Natyashastra in UNESCO’s Memory of the World Register is a global recognition of our timeless wisdom and rich culture. The Gita and Natyashastra have nurtured civilisation, and… pic.twitter.com/4blkMgjJ1l— ANI (@ANI) April 18, 2025
उन्होंने कहा, ‘‘ गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के विश्व स्मृति रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करती रहती है।’’ नाट्यशास्त्र को कलाओं का एक मौलिक ग्रन्थ माना जाता है।
यूनेस्को ने 17 अप्रैल को अपने विश्व स्मृति रजिस्टर में 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह जोड़े, जिससे कुल अंकित संग्रहों की संख्या 570 हो गई है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी कहा कि यह भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि यह भारत की शाश्वत मेधा और कलात्मक प्रतिभा का सम्मान है।