केंद्र की टीकाकरण योजना के तहत देश भारत में नागरिकों के दो वर्ग बनाए गए हैं: केरल उच्च न्यायालय
By भाषा | Updated: November 2, 2021 14:57 IST2021-11-02T14:57:31+5:302021-11-02T14:57:31+5:30

केंद्र की टीकाकरण योजना के तहत देश भारत में नागरिकों के दो वर्ग बनाए गए हैं: केरल उच्च न्यायालय
कोच्चि, दो नवंबर केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि केंद्र की टीकाकरण योजना के संबंध भारत में नागरिकों के दो वर्ग बनाए हैं। एक वर्ग में वे नागरिक शामिल हैं, जिन्हे कोवैक्सीन टीके की खुराक दी गई है तथा उनकी आवाजाही पर पाबंदी है जबकि दूसरे वर्ग में उन नागरिकों को रखा गया है जिन्होंने कोविशील्ड टीके की खुराक ली है और वे कहीं भी जा सकते हैं।
अदालत ने कहा कि इस कदम से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
न्यायमूर्ति पी वी कुन्हीकृष्णन ने यह टिप्पणी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वैक्सीन की तीसरी खुराक लेने के लिए एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जो काम के सिलसिले में विदेश जाना चाहता है।
सऊदी अरब में वेल्डर के रूप में काम करने वाले इस व्यक्ति ने तीसरी बार अदालत का रुख किया क्योंकि उसने कोवैक्सीन की जो दो खुराक ली हैं, उन्हें खाड़ी देश में मान्यता या स्वीकृति प्राप्त नहीं है, जिसके चलते उसे नौकरी खोने का डर है क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वैक्सीन का टीका लगवाए बिना वहां नहीं जा सकता।
अदालत ने कहा, ''राज्य प्रायोजित टीकाकरण योजना के तहत देश में दो तरह के नागरिक हैं। पहले वे जिन्हें कोवैक्सीन की खुराक मिली है जबकि दूसरे वे लोग जिन्होंने कोविशील्ड की खुराक ली है। पहले वर्ग में शामिल लोगों की आवाजाही पर पाबंदी है जबकि दूसरे वर्ग के लोग कहीं भी जा सकते हैं।''
अदालत ने कहा कि नागरिकों के दो अलग-अलग वर्ग बनाए जाने से ''याचिकाकर्ता की आवाजाही के मौलिक अधिकार का उल्लंघन'' हुआ है।
अदालत ने कहा, ''उसके आने-जाने पर पाबंदी है। एक नागरिक राज्य प्रायोजित टीकाकरण योजना के कारण पीड़ित है। यह याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का एक स्पष्ट मामला है।''
न्यायाधीश ने कहा कि वह यह आदेश नहीं देंगे कि याचिकाकर्ता को तीसरी खुराक दी जाए या नहीं, लेकिन केंद्र को एक महीने के भीतर उसकी शिकायत का निवारण करने का निर्देश देंगे।
सुनवाई के दौरान केंद्र ने अदालत से कहा कि इसी तरह का एक मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है, जिसमें कहा गया है कि वह इस मुद्दे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के फैसले का इंतजार करेगा।
अदालत ने कहा कि अगर केंद्र फैसला लेने में और समय लेना चाहता है तो याचिकाकर्ता को विदेश में काम करने के दौरान वेतन के रूप में मिलने वाली राशि का भुगतान करने का निर्देश जारी किया जा सकता है।
न्यायाधीश ने कहा, ''अदालत महज एक दर्शक की तरह चुपचाप नहीं बैठ सकती।''
केंद्र ने अगस्त में कहा था कि कोविड वैक्सीन की तीसरी खुराक देने की प्रभावकारिता का पता लगाने के लिए नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं और इसे पूरा होने में कई महीने लगेंगे।
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