उल्फा(आई) ने चाय कंपनी से कार्यालय असम स्थानांतरित करने, राज्य के लोगों को भर्ती करने को कहा
By भाषा | Updated: April 8, 2021 21:07 IST2021-04-08T21:07:10+5:302021-04-08T21:07:10+5:30

उल्फा(आई) ने चाय कंपनी से कार्यालय असम स्थानांतरित करने, राज्य के लोगों को भर्ती करने को कहा
गुवाहाटी, आठ अप्रैल प्रतिबंधित संगठन उल्फा (आई) ने बृहस्पतिवार को एक प्रमुख चाय कंपनी को नोटिस जारी करते हुए उससे तत्काल अपना प्रशासनिक कार्यालय असम स्थानांतरित करने और राज्य के स्थानीय लोगों को नौकरी पर रखने को कहा है, ऐसा नहीं करने पर उसे “असम में कारोबार करने से रोका जाएगा।”
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रांट ऑफ असोम (इंडिपेंडेंट) ने ई-मेल के जरिये अमलगामेटेड प्लांटेशंस प्राइवेट लिमिटेड (एपीपीएल) को नोटिस भेजा जिसकी प्रति ‘पीटीआई-भाषा’ और अन्य मीडिया संस्थानों को भी भेजी गई।
इस नोटिस पर उल्फा(आई) पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के सदस्य स्वयंभू ‘कैप्टन’ रुमेल असोम के दस्तखत हैं। इसमें कहा गया, “द यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असोम (इंडिपेंटेंट) ने इस बात का संज्ञान लिया है… असम में आपके मालिकाना हक वाले चाय बागानों में प्रबंधन…।”
बयान के मुताबिक, “हम इस बात की प्रशंसा करते हैं कि आप मुनाफा कमाने वाले व्यापार में हैं और ऐसे में आपको अपनी कॉरपोरेट योजना पर विचार करना चाहिए। हालांकि, आप पर इस जमीन और उसके लोगों की भारी जिम्मेदारी है….। …आपका मुख्य कार्यालय असम से बाहर है जहां असम से कोई स्थानीय कर्मचारी नहीं है। संपर्क कार्यालय भी असम में नहीं है।”
एपीपीएल 10 साल पहले पश्चिम बंगाल और असम में चाय बागानों के संचालन के लिये तत्कालीन टाटा टी लिमिटेड (अब टाटा ग्लोबल बेवरेजेज लिमिटेड या टीजीबीएल) से अलग होकर अस्तित्व में आई थी।
एपीपीएल का मुख्यालय कोलकाता में हैं जबकि इसका कॉरपोरेट कार्यालय गुवाहाटी में है।
एपीपीएल के प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह गुलिया से बयान के लिये संपर्क नहीं हो सका।
उल्फा(आई) ने अपनी ईमेल में कहा, “हमें पता है आप अपने कर्मचारियों की नियुक्ति असम के बाहर से कर रहे हैं” न कि राज्य से स्थानीय युवकों की भर्ती कर रहे हैं और चेतावनी दी कि यह कॉरपोरेट और राज्य के बीच “दोनों की जीत की भावना के विपरीत” है।
उल्फा(आई) ने चेतावनी दी कि कंपनी के अधिकारियों को असम में यात्रा नहीं करने दी जाएगी और अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो “चाय बागानों को बंद करने से” एपीपीएल को “बर्बादी” का सामना करना पड़ेगा।
कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक वह देश में दूसरी सबसे बड़ी चाय उत्पादक है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।