यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने तकरीबन पांच हजार अधिकारियों की आधार की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर आम लोगों की जानकारियां देखने का एक्सेस राइट वापस ले लिया है। ये अधिकारी अब आधार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर धारकों की जानकारी नहीं देख सकेंगे। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने उस रिपोर्ट के बाद उठाया है जिसमें मात्र 500 रुपये में करोड़ों लोगों का आधार डेटा हासिल करने का दावा किया गया था। हालांकि सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि सभी धारकों का आधार डाटा सुरक्षित है। रिपोर्ट करने वाले पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है।
पत्रकार पर एफआईआर करने का कई सामाजिक संगठन और पत्रकार विरोध कर रहे हैं। अमेरिका के मशहूर व्हिसलब्लोवर एडवर्ड स्नोडन ने भी पत्रकार का बचाव करते हुए भारत सरकार की आलोचना की है। स्नोडेन ने भी उन अधिकारियों के गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा है कि उन पत्रकारों को सम्मान मिलना चाहिए जिन्होंने आधार लीक का मामला उजागर किया है, ना कि उनको किसी जांच में फंसाना चाहिए। अगर सरकार इस मामले में सही में न्याय के लिए चिंताजनक हैं तो उन्हें अपनी आधार को लेकर नीतियों में सुधार करना चाहिए, जिन्होंने करोड़ों लोगों की निजता को खतरे में डाला है। उन्होंने आगे यह भी लिखा कि अगर किसी को गिरफ्तार करना ही है तो वे UIDAI ही है।
बता दें कि आधार कार्ड लीक के मामले में अंग्रेजी अखबार 'द ट्रिब्यून' की पत्रकार रचना खेड़ा पर एफआईआर दर्ज हो गई है। जिसके बाद लोग सरकार से इस बात पर सफाई मांग रहे हैं। रचना खेड़ा ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि किस तरह 500 रुपए के लिए करोड़ों आधार कार्ड की जानकारी को बेचा जा रहा है। इस खबर के बाद से ही लगातार आधार की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यूआईडीएआई की ओर से अखबार और रिपोर्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की आलोचना की जा रही है।
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक आधार पोर्टल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मीडिया में आई खबरों के बाद सक्षम अधिकारियों को आधार पोर्टल पर जाने के संबंध में दिए गए सभी राइट्स वापस ले लिए गए हैं। नई निमय के तहत किसी के आधार से जुड़ी कोई भी जानकारी अब उसी सूरत में हासिल की जा सकेगी या बदली जाएगी जब संबंधित व्यक्ति की बायोमैट्रिक पहचान हो पाएगी।
दरअसल में यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पहले नियम के अनुसार आवेदनों को जल्द से जल्द निपटाने के लिए केंद्र व राज्यों के कुछ स्पेशल अधिकारियों को विशेष अधिकार दिए गए थे। ताकि वे आधार पोर्टल पर जाकर किसी का 12 अंक का आधार नंबर डालकर उसका नाम, पता, जन्म तिथि आदि पूरी जानकारी हासिल कर सके। अब यही विशेषाअधिकार 5 हजार अधिकारियों से छीन लिए गए हैं।