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हाईकोर्ट ने यूजीसी और एचआरडी मंत्रालय को फाइनल एग्जाम पर रूख स्पष्ट करने को कहा, दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने दायर की थी परीक्षा रद्द करने की याचिका

By रजनीश | Updated: July 7, 2020 05:54 IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज के आखिरी साल के स्टूडेंट अनुपम और कई अन्य स्टूडेंट ने मिलकर डीयू द्वारा ऑनलाइन पेपर लिए जाने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इनकी ओर से दिल्ली यूनिवर्सिटी के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी जिसमें 10 अप्रैल से ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम लेने की बात है।

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ठळक मुद्देदिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज के आखिरी साल के स्टूडेंट अनुपम और अन्य स्टूडेंट्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने यूजीसी और एचआरडी को अपना रूख स्पष्ट करने का निर्देश दिया। याचिका में स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा के संचालन के संबंध में 14 मई, 30 मई और 27 जून की अधिसूचनाओं को रद्द करने और वापस लेने का आग्रह किया गया था। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) को इस संबंध में अपना रूख स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि क्या वे कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण देशभर के सभी विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द करने की सिफारिश करते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि मंगलवार तक रूख स्पष्ट किया जाना चाहिए।अदालत ने निर्देश दिये कि एचआरडी मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के जिम्मेदार अधिकारी सात जुलाई को होने वाली सुनवाई में शामिल होंगे। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई कर रहीं न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने प्रोफेसर आर सी कुहाड़ की अध्यक्षता वाली यूजीसी की एक समिति को मंगलवार तक संबंधित अधिकारियों को अंतिम दिशानिर्देशों पर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा और इसे अदालत के समक्ष रखने के निर्देश दिये।डीयू के अंतिम वर्ष के छात्रों की याचिका पर हाईकोर्ट ने की सुनवाईहाईकोर्ट दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के अंतिम वर्ष के कई छात्रों की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में स्नातक और स्नातकोत्तर के छात्रों के लिए ऑनलाइन परीक्षा के संचालन के संबंध में 14 मई, 30 मई और 27 जून की अधिसूचनाओं को रद्द करने और वापस लेने का आग्रह किया गया था। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सोमवार को घोषणा किया कि विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं सितंबर के अंत तक आयोजित होंगी। कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर जुलाई के लिए निर्धारित कार्यक्रम को टाल दिया गया है।यूजीसी ने जारी की नई गाइडलाइनविश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से जारी संशोधित दिशा-निर्देशों के मुताबिक, सिंतबर में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं दे पाने में असमर्थ छात्रों को एक और मौका मिलेगा और विश्वविद्यालय ''जब उचित होगा तब'' विशेष परीक्षाएं आयोजित करेंगे।मंत्रालय का यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हरी झंडी दिए जाने के बाद आया है जिसमें उसने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तय मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के तहत परीक्षाएं आयोजित करने की मंजूरी दी थी। इस घोषणा के बाद कोविड-19 हालात के मद्देनजर अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द होने की अटकलों पर विराम लग गया है। इससे पहले यह परीक्षाएं जुलाई में आयोजित होना तय की गई थीं। यूजीसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, '' विश्वविद्यालय अथवा संस्थान द्वारा अंतिम वर्ष की परीक्षाएं ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों माध्यमों से सितंबर महीने के अंत तक आयोजित की जाएंगी।''एम.ए अंतिम वर्ष के छात्र की याचिका पर हुई सुनवाईदिल्ली विश्वविद्यालय के एम.ए अंतिम वर्ष के एक छात्र ने डीयू की ऑनलाइन परीक्षा OBE को रद्द करने की माँग करते हुए दिल्ली हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। छात्र की याचिका को कोर्ट ने तत्काल सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। 

इस याचिका में न्यायालय को बताया गया है कि पूरे लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं में विद्यार्थियों की बहुत कम उपस्थिति रही है। कई कोर्सों में तो सिलेबस भी पूरा नहीं हुआ है। ऑनलाइन कक्षाओं पर सवाल उठाते हुए याचिका में कहा गया है कि डीयू ने अपने नोटिफिकेशन में ऑनलाइन साधन विहीन लोगों के लिए कॉमन सुविधा केन्द्र की भी व्यवस्था नहीं की है और इसका आशय है कि डीयू भी इस बात से सहमत है कि सभी छात्रों के पास ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध नहीं हैं।

ऐसे में डीयू ऑनलाइन कक्षाओं के ज़रिए सिलेबस ख़त्म करने का दावा कैसे कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में ये परीक्षाएं महज़ औपचारिकता हैं और इससे छात्रों के परिणाम पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। 

याचिकाकर्ता अनुपम ने याचिका में यह भी कहा है कि इस ऑनलाइन एग्जाम में कदाचार को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है। छात्रों से लिया जाने वाला शपथ पत्र सिर्फ़ खानापूर्ति है और परीक्षाओं में किसी छात्र के स्थान पर उस विषय का कोई अन्य एक्सपर्ट भी उसकी परीक्षाएँ ख़ुद देकर उसको अनुचित लाभ पहुँचा सकता है। याचिका में ऑनलाइन परीक्षाओं के ख़िलाफ़ ऐसे ही लगभग 10 से अधिक बहुत महत्वपूर्ण आधार दिए गए थे।

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