अयोध्याः अपने मकसद में कामयाब हो गए शिवसेना सुप्रीमो, लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर ली जमीन?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 25, 2018 05:54 IST2018-11-25T05:54:44+5:302018-11-25T05:54:44+5:30
हज़ारों शिव सैनिकों की उपिस्थति और बड़ी संख्या में आए अयोध्या के कई साधु संत और महंतों को देख कर शायद उद्धव का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया.

अयोध्याः अपने मकसद में कामयाब हो गए शिवसेना सुप्रीमो, लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर ली जमीन?
-दीपक गिडवानी
अयोध्या में शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को बड़ी जनसभा करने की इजाज़त भले ही न दी गई हो, लेकिन सरयू तट पर शनिवार को हुआ उनका भव्य कार्यक्रम, उनके खास मक़सद को पूरा करने में कामयाब रहा.
विश्व हिंदू परिषद की विशाल धर्म सभा से ठीक एक दिन पहले राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को ललकार कर उन्होंने भगवा कैंप में हलचल तो मचा ही दी, साथ ही लोक सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा से अलग अपनी जमीन तैयार करने की शुरु आत भी कर डाली.
भाजपा में इस बात को भी लेकर काफी हैरानी और हलचल होगी कि अपने पूरे संबोधन में उद्धव ठाकरे ने मोदी का नाम लिए बिना उन पर तीखी टीका-टिप्पणी की. उन्होंने कहा, मैं मंदिर निर्माण का श्रेय लेने नहीं आया बल्कि चार साल से सोये कुंभकरण को जगाने आया हूं.
इस काम के लिए बड़ा सीना नहीं, दम होना चाहिए, मर्द होना चाहिए, शिव सेना अध्यक्ष ने लक्ष्मण किला में आयोजित कार्यक्र म में कहा, केंद्र सरकार अध्यादेश लाए, हम उसका समर्थन करेंगे. उनके आगमन के वकत ही कार्यक्र म का उद्देश्य साफ हो गया था, जब वे और शिवसेना के कई वरिष्ठ नेता केसरिया पगड़ी पहने पहुंचे और उनके हजारों समर्थक नारे लगा रहे थे- हर हिंदू की यही पुकार, पहले मंदिर फिर सरकार.
हज़ारों शिव सैनिकों की उपिस्थति और बड़ी संख्या में आए अयोध्या के कई साधु संत और महंतों को देख कर शायद उद्धव का आत्मविश्वास कई गुना बढ़ गया. अयोध्या में वीएचपी के एक बड़े किरदार और रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास का वहां होना भी इसका एक खास कारण रहा.
कार्यक्रम में मंदिर निर्माण के लिए शिला पूजन भी करा डाला और इन शिलाओं को उन्होंने महंत नृत्यगोपाल दास को भेंट कर दिया. जिस तरह से उद्धव ने केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व को मंदिर निर्माण में विलंब करने का दोषी ठहराया और कोसा, इससे साफ है वे अब शिव सेना की और अपनी एक अलग छवि बनाना चाहते हैं ताकि लोक सभा और अगला महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अपने दम पर लड़ सकें.
उन्हें अच्छी तरह पता है कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए राम मंदिर से बेहतर संजीवनी नहीं हो सकती. कट्टर हिंदूवाद सेना की पहचान रहा है और बाल ठाकरे को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान तभी मिली जब उन्होंने अयोध्या मुद्दे को ज़ोर शोर से उठाया. इतना ही नहीं 1992 के विध्वंस के बाद उन्होंने ये तक कह डाला कि ढांचा शिव सैनिकों ने गिराया और उन्हें इस बात का गर्व है.
(दीपक गिडवानी लोकमत समाचार से जुड़े हैं)