अनुच्छेद 370 की समाप्ति के दो साल: जम्मू कश्मीर में चार आतंकी घटनाएं, दलों का प्रदर्शन-जश्न

By भाषा | Updated: August 5, 2021 22:44 IST2021-08-05T22:44:02+5:302021-08-05T22:44:02+5:30

Two years after the abrogation of Article 370: Four terrorist incidents in Jammu and Kashmir, demonstration of parties-celebration | अनुच्छेद 370 की समाप्ति के दो साल: जम्मू कश्मीर में चार आतंकी घटनाएं, दलों का प्रदर्शन-जश्न

अनुच्छेद 370 की समाप्ति के दो साल: जम्मू कश्मीर में चार आतंकी घटनाएं, दलों का प्रदर्शन-जश्न

श्रीनगर/जम्मू, पांच अगस्त पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किये जाने के दो साल पूरे होने पर बृहस्पतिवार को चार आतंकी घटनाएं हुई। एक ओर जहां, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) ने केंद्र के दो साल पुराने इस फैसले को लेकर विरोध प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस अवसर पर जश्न मनाया।

कश्मीर घाटी में विपक्षी दलों ने पूर्ववर्ती राज्य के अगस्त 2019 का दर्जा बहाल कराने के लिए पूरी कोशिश करने का संकल्प लिया।

पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों--जम्मू कश्मीर और लद्दाख-- में विभाजित करने के लिए संविधान में केंद्र के संशोधन करने के दो साल बाद जम्मू कश्मीर में उभरती स्थिति का जायजा लेने के लिए गुपकर गठबंधन (पीएजीडी) ने नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के आवास पर एक बैठक की।

गठबंधन ने जम्मू कश्मीर में स्थिति पर चिंता जतायी और उसके लोगों के ‘‘वैध अधिकारों’’ को बहाल कराने के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।

बैठक के बाद अब्दुल्ला के आवास के बाहर पत्रकारों से बातचीत में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता एम वाई तारिगामी ने कहा कि गठबंधन ने ‘‘हमारे वैध अधिकारों को बहाल करने के हमारे संघर्ष को जारी रखने का संकल्प दोहराया।’’

तारिगामी ने कहा, ‘‘सरकार के लंबे चौड़े वादों के बावजूद पांच अगस्त 2019 के बाद से स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। वे दावा करते हैं कि सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी और हिंसा खत्म होगी लेकिन देखिए हाल में राज्य के दर्जे पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने संसद में क्या कहा। मंत्री ने कहा कि राज्य का दर्जा उचित समय आने पर तभी बहाल होगा जब हालात सामान्य होंगे।’’

उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि स्थिति ‘‘असामान्य बनी हुई है’’ और क्षेत्र में शांति बहाल करने के दावे ‘‘पांच अगस्त 2019 को दुर्भाग्यपूर्ण दिन’’ पर लिए कदमों से हासिल नहीं हुए।

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं सांसद फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी कार्यालय में एक बैठक की अध्यक्षता की, जहां उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर के ‘काट-छांट कर संक्षिप्त कर दिये गये’ संवैधानिक और लाकतांत्रिक अधिकारों को बहाल कराने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी।

श्रीनगर में, नेकां अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पांच अगस्त 2019 को लिए गये एकपक्षीय, असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक फैसले पर पार्टी का रुख कभी नहीं बदलेगा तथा पार्टी काट छांट कर संक्षिप्त कर दिये गये संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों को बहाल कराने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी।’’

उन्होंने पांच अगस्त 2019 को लिये गये केंद्र के फैसले को देश की धर्मनिरपेक्ष छवि, इसके बहुलवादी संघवाद पर एक घातक हमला बताया और जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख के लोगों को किये गये संप्रभु वादों का उल्लंघन बताया।

श्रीनगर में काली पट्टी बांधे पीडीपी के दर्जनों नेताओं और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने शेर ए कश्मीर पार्क के पास स्थित पार्टी मुख्यालय से एक विरोध मार्च निकाला, जिसका नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने किया।

उन्होंने केंद्र के पांच अगस्त 2019 के फैसले के खिलाफ और कश्मीर मुद्दे के हल के समर्थन में नारे लगाये। हालांकि, प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने जीपीओ के पास रोक दिया।

महबूबा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज जम्मू कश्मीर के लिए शोक दिवस है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा देश भर में जश्न मना रही है, जबकि कश्मीर शोक मना रहा है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर के लोगों का अस्तित्व तभी रहेगा, जब हम साथ मिल कर अपनी संवैधानिक स्थिति को बहाल करेंगे और फिर भारत सरकार को आंतरिक आयाम पर जम्मू कश्मीर के लोगों से और बाहरी आयाम पर पाकिस्तान से बातचीत कर कश्मीर मुद्दे का हल करने के लिए मजबूर करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोई और विकल्प नहीं है। वे पाकिस्तान से पहले से बातचीत कर रहे हैं जिसका परिणाम (नियंत्रण रेखा पर) संघर्षविराम के रूप में देखने को मिला है और इससे घुसपैठ में कमी आई है।’’

महबूबा ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि जम्मू कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच अमन का सेतु बनना होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा को पांच अगस्त 2019 को लिये फैसले को वापस लेना होगा।

जम्मू में भी पीडीपी ने गांधी नगर स्थित पार्टी कार्यालय से एक विरोध रैली निकाली और शहर के अंदर जाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

उन्होंने सरकार विरोधी नारे लगाए और आज का दिन काला दिवस के तौर पर मनाया।

अनंतनाग जिले के खानाबल, बांदीपोरा जिला और बारामुला जिले के पंजाल्ला में भाजपा नेताओं ने कई स्थानों पर तिरंगा ध्वज फहरा कर जश्न मनाया।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरूण चुग ने कहा कि 2019 के इस फैसले की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि यह विभाजनकारी और आतंकवादी ताकतों के लिए एक बड़ा झटका है।

चुग, जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पार्टी के प्रभारी भी हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर में सकारात्मक विमर्श में खलल डालने को लेकर गुपकर गठबंधन में शामिल पार्टियों की कड़ी आलोचना की।

जम्मू में जम्मू कश्मीर भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) अध्यक्ष अरूण देव सिंह, पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने तिरंगा ले कर मार्च किया और वंदे मातरम तथा भारत माता की जय के नारे लगाए।

शिवसेना की जम्मू कश्मीर इकाई ने शहर में तिरंगा रैली निकाली और भारत माता की जय के नारे लगाए।

डोगरा फ्रंट ने अपने प्रमुख अशोक गुप्ता के नेतृत्व में जम्मू में ढोलक की थाप और नृत्य के साथ तिरंगा रैली निकाली।

बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद तथा कुछ सामाजिक संगठनों ने भी अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों और अनुच्छेद 35-ए को रद्द किये जाने की दूसरी वर्षगांठ का जश्न मनाया।

इस अवसर पर, जम्मू कश्मीर नेशनल पैथर्स पार्टी ने जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और शीघ्र विधानसभा चुनाव कराने की मांग की।

इस बीच, आतंकवादियों ने बारामुला जिले के सोपोर इलाके में एक पुलिस टीम पर सुबह के वक्त गोलीबारी की लेकिन इस हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ। पुलिस ने यह जानकारी दी।

दूसरा हमला नौहट्टा इलाके में हुआ, जहां एक विस्फोट हुआ। विस्फोट के शीघ्र बाद सुरक्षा बलों ने कई गोलियां चलाई। समझा जाता है कि विस्फोट आईईडी से किया गया था।

आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के छाया संगठन माने जाने वाले द रेजीसटेंस फोर्स (टीआरएफ) ने दोनों हमलों की जिम्मेदारी ली है।

आतंकवादियों ने श्रीनगर शहर में मेहजूर नगर में सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के गश्ती दल पर भी एक ग्रेनेड फेंका। इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ।

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकवादियों ने एक ग्रेनेड फेंका जो एक पुलिस थाने के अंदर गिरा। अधिकारियों ने बताया कि इस घटना के बारे में ब्योरे का इंतजार है।

श्रीनगर के कुछ इलाके बंद रहे, जबकि लाल चौक इलाके में दुकानदारों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने दुकानें खोलने के लिए मजबूर किया। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने आरोपों का जवाब नहीं दिया है।

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