शरद पवार परिवार में तकरार, एक तरफ अजित, दूसरी तरफ सुप्रिया सुले, फायदा भाजपा ने उठाया, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना गठबंधन बेदम

By भाषा | Updated: November 23, 2019 19:29 IST2019-11-23T19:29:11+5:302019-11-23T19:29:11+5:30

तीनों दल पिछले सप्ताह से एक असंभव से लगने वाले गठबंधन को बनाने के लिए प्रयासरत थे, जबकि इस दौरान भाजपा शांत थी। हालांकि, अब लगता है कि उसने पवार के भतीजे शरद पवार को शामिल करने का ‘‘प्लान बी’’ तैयार रखा था।

Trouble in Sharad Pawar family, Ajit on one side, Supriya Sule on the other side, BJP took advantage, Congress, NCP and Shiv Sena alliance breathless | शरद पवार परिवार में तकरार, एक तरफ अजित, दूसरी तरफ सुप्रिया सुले, फायदा भाजपा ने उठाया, कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना गठबंधन बेदम

फड़नवीस और अजित पवार विधानसभा में बहुमत कैसे साबित करते हैं?

Highlightsशिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने सरकार बनाने के लिए शुक्रवार रात गठबंधन को अंतिम रूप दिया।कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि शुक्रवार शाम को यहां नेहरू केंद्र में हुई तीनों दलों की बैठक में अजित पवार भी मौजूद थे।

ऐसा प्रतीत होता है कि राकांपा नेता शरद पवार के परिवार में लंबे समय से चल रही कलह का फायदा भाजपा नेतृत्व ने उठाया और अंतिम समय में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना गठबंधन द्वारा सरकार बनाने का दावा करने से ठीक पहले रातोरात पूरे घटनाक्रम को पलट दिया।

तीनों दल पिछले सप्ताह से एक असंभव से लगने वाले गठबंधन को बनाने के लिए प्रयासरत थे, जबकि इस दौरान भाजपा शांत थी। हालांकि, अब लगता है कि उसने पवार के भतीजे शरद पवार को शामिल करने का ‘‘प्लान बी’’ तैयार रखा था।

शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा ने सरकार बनाने के लिए शुक्रवार रात गठबंधन को अंतिम रूप दिया, और वे शनिवार को राज्यपाल से मिलने वाले थे। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि शुक्रवार शाम को यहां नेहरू केंद्र में हुई तीनों दलों की बैठक में अजित पवार भी मौजूद थे।

इसके बाद शनिवार सुबह साढ़े सात बजे देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और राकांपा विधायक दल के नेता अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अब देखने वाली बात ये है कि फड़नवीस और अजित पवार विधानसभा में बहुमत कैसे साबित करते हैं?

कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनकी पार्टी को इस बात का संदेह था कि अगर कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना के बीच गठबंधन नहीं हुआ, तो राकांपा का एक वर्ग भाजपा के साथ हाथ मिला सकता है।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, “भाजपा का शीर्ष नेतृत्व (राकांपा नेता) प्रफुल पटेल के माध्यम से कोशिश कर रहा था कि शरद पवार भाजपा के साथ आ जाएं। उनका कहना था कि इससे पटेल और अजित पवार को प्रवर्तन निदेशालय की जांच में मदद मिलेगी।”

सूत्रों ने बताया कि पवार परिवार में पिछले कुछ महीनों से चल रही तकरार में एक तरफ अजित पवार थे और दूसरी तरफ शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले। यह विवाद लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर बढ़ा। जब शरद पवार ने ईडी के कार्यालय जाने का निर्णय किया और पूरे राज्य के कार्यकर्ता मुंबई आने लगे, तो अजित पवार नदारद थे। उसी शाम उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। इसे ध्यान भटकाने की कोशिश माना गया।

अगले दिन अजित पवार ने आंखों में आंसू भरकर मीडिया से कहा कि उन्होंने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि ईडी ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में न सिर्फ उनका बल्कि शरद पवार का नाम भी लिया। परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है, इसका आभास पिछले सप्ताह उस समय भी हुआ, जब शरद पवार के निवास ‘‘सिलवर ओक’’ में राकांपा की एक बैठक से यह कहते हुए निकल आए कि कांग्रेस के साथ प्रस्तावित बैठक रद्द हो गई है और वह अपने विधानसभा क्षेत्र बारामती जा रहे हैं।

हालांकि, बाद में उक्त बैठक हुई और बाद में राकांपा नेता ने कहा कि यह मीडिया को दूर रखने की एक कोशिश थी। सूत्रों के मुताबिक अजित पवार उस समय थोड़े नाखुश हुए जब उनके बेटे को पहले लोकसभा चुनाव में राकांपा का टिकट देने से इनकार किया गया और बाद में वह टिकट मिलने के बाद भी हार गए। सूत्रों ने बताया कि शरद पवार के एक अन्य भाई के पोते रोहित पवार के उदय और विधानसभा चुनाव में उनकी जीत से भी अजित पवार में असुरक्षा आई।

एक अन्य नेता ने कहा, “हम पूरे घटनाक्रम को पारिवारिक विवाद के रूप में देख रहे हैं, जो खुलकर सामने आ गया है।” अभी यह स्पष्ट नहीं है कि राकांपा के 54 विधायकों में कितने अजित पवार के समर्थन में हैं। शरद पवार का दावा है कि अजित पवार के शपथ लेने के दौरान सिर्फ एक दर्जन विधायक ही उनके साथ थे, जिसमें से तीन पार्टी के पास वापस आ चुके हैं और दो अन्य वापस आ सकते हैं। 

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