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राजस्थानः कांग्रेस की इतनी खराब सियासी हालत में भी नेता-समर्थक गुटबाजी में उलझे हैं?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: May 28, 2019 20:10 IST

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार अभी अस्थिर और असुरक्षित नहीं है, जब तक कि कांग्रेस के भीतर से कोई सियासी जोड़तोड़ नहीं हो. यही वजह है कि बीजेपी भी ठहरो और देखो, नीति के तहत कांग्रेस के भीतर सियासी समीकरण बदलने का इंतजार कर रही है.

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ठळक मुद्दे सोशल मीडिया पर एक मंत्री का इस्तीफा चर्चाओं में है और खूब शेयर किया जा रहा है, वहीं दो और मंत्रियों के बयान भी कांग्रेस के लिए उलझने खड़ी कर रहे हैं.राहुल गांधी की टिप्पणी पर सीएम अशोक गहलोत प्रेस को सफाई दे रहे हैं कि- यह पार्टी के अंदरूनी मामले होते हैं और राहुल गांधी जी को कहने का अधिकार है.

कोई पांच माह पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को प्रदेश की सत्ता से बाहर करने वाली कांग्रेस, लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटें हार गई है. यही नहीं, 200 विधानसभा सीटों में से 100 सीटें जीतने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में 185 विधानसभा क्षेत्रों में पीछे रही है. यदि सीएम अशोक गहलोत की सीट सरदारपुर से वैभव गहलोत 18000 वोटों सेे पिछड़े हैं, तो टोंक में सचिन पायलट की सीट पर भी कांग्रेस के उम्मीदवार को 22000 वोटों से मात मिली है.

लेकिन, मजेदार बात यह है कि विभिन्न नेताओं के समर्थक ऐसे वक्त में भी आपसी सियासत में उलझे हैं. सीएम अशोक गहलोत के विरोधियों के बीच जहां राहुल गांधी के उस बयान की चर्चा है, जिसमें उन्होंने पुत्र-मोह को लेकर कथित बयान दिया था, तो सचिन पायलट विरोधी ऐसी सियासी चर्चाओं में, उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते पिछले लोकसभा चुनाव में और इस बार के लोकसभा चुनाव में सारी 25 सीटें हारने की बात सामने आ रही है, जबकि बीजेपी इस मौके पर सियासी लाभ का समीकरण साधने की कोशिश में है?

इतना ही नहीं, जहां सोशल मीडिया पर एक मंत्री का इस्तीफा चर्चाओं में है और खूब शेयर किया जा रहा है, वहीं दो और मंत्रियों के बयान भी कांग्रेस के लिए उलझने खड़ी कर रहे हैं.

हालांकि, राहुल गांधी की टिप्पणी पर सीएम अशोक गहलोत प्रेस को सफाई दे रहे हैं कि- यह पार्टी के अंदरूनी मामले होते हैं और राहुल गांधी जी को कहने का अधिकार है, क्योंकि वे हमारे अध्यक्ष हैं. उनको सब अधिकार है कि वे बताएं कि किस नेता की कहां कमी रही कैंपेन के अंदर, किस नेता की कहां निर्णय में कमी रही, ऐसे वक्त में यह स्वाभाविक है, कांग्रेस प्रेसिडेंट का अधिकार है, वे कमियां बताएंगे सबको, हम लोगों ने उस पर  चर्चा की है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार अभी अस्थिर और असुरक्षित नहीं है, जब तक कि कांग्रेस के भीतर से कोई सियासी जोड़तोड़ नहीं हो. यही वजह है कि बीजेपी भी ठहरो और देखो, नीति के तहत कांग्रेस के भीतर सियासी समीकरण बदलने का इंतजार कर रही है.यदि समय से पहले राजस्थान में कांग्रेस के हाथ से प्रदेश की सत्ता निकल जाती है तो इसकी वजह, बीजेपी की जोड़तोड़ नहीं, बल्कि कांग्रेस की गुटबाजी होगी.

टॅग्स :राजस्थानकांग्रेस
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