कोलकाताः भाजपा के वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय भगवा दल को जोरदार झटका देते हुए शुक्रवार को अपने पुत्र शुभ्रांशु के साथ अपनी पुरानी पार्टी तृणमूल कांग्रेस में वापस लौट गए।
मुकुल रॉय ने कहा कि भाजपा में शोषण अधिक है। मैं बीजेपी छोड़कर TMC में आया हूं, अभी बंगाल में जो स्थिति है, उस स्थिति में कोई बीजेपी में नहीं रहेगा। भाजपा में जाकर गलत किया। टीएमसी में लौटकर खुश हूं। सुकून मिल रहा है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि रॉय के फैसले से उनकी पार्टी को कुछ नुकसान होगा क्योंकि साढ़े तीन साल पहले उनके भाजपा में आने से पार्टी को क्या फायदा हुआ, नहीं पता। घोष ने कहा, ‘‘इस समय हमें राज्य में हिंसा जैसे और गंभीर मुद्दों की चिंता है। हमें अपने कार्यकर्ताओं की सुरक्षा की चिंता है, जिन्हें तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता निशाना बना रहे हैं।’’
पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि हमारे पास इन सबके लिए समय नहीं है। पश्चिम बंगाल भाजपा उपाध्यक्ष अर्जुन सिंह ने मुकुल रॉय पर जोरदार हमला बोला। मुकुल रॉय कभी भी एक सार्वजनिक नेता नहीं थे। पश्चिम बंगाल में एसी रूम से राजनीति नहीं हो सकती।
राजनीति में उनका समय समाप्त हो गया है। कोई उस पर भरोसा नहीं करता। सभी को जानकारी थी कि वह बीजेपी की अंदरूनी जानकारी टीएमसी को देते हैं, यदि प्रतिद्वंद्वियों को आपकी योजना का पता चल जाता है, तो इससे आपको नुकसान होता है।
फिर भाजपा में शामिल होंगे
अर्जुन सिंह ने कहा कि राजनीति में अवसरवादी ऐसा करते हैं। अभिषेक बनर्जी और उनके बीच एक दरार थी ... वे फिर भाजपा में शामिल हो गए ... वे आते-जाते रहेंगे। उन्होंने पहली बार चुनाव जीता, वह भी भाजपा के चुनाव चिह्न पर। जाने से पहले उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए था।
भाजपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद संभालने वाले रॉय ने कहा कि वह "सभी परिचित चेहरों को फिर से देखकर खुश हैं।’’ तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मुकुल रॉय को भाजपा में धमकी दी गई थी और इसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा।
पूर्व सांसद अनुपम हाजरा ने दावा किया कि गुटबाजी की राजनीति से पार्टी को नुकसान हो रहा है। भाजपा के प्रदेश महासचिव जयप्रकाश मजूमदार ने रॉय को अपनी तरफ से बधाई देते हुए कहा कि उन्हें तत्काल भाजपा के सभी पदों को छोड़ देना चाहिए।
मजूमदार ने कहा, ‘‘मुकुल बाबू दिग्गज नेता हैं। वह बंगाल की राजनीति का जाना पहचाना चेहरा हैं। हम उन्हें नयी पारी के लिए शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन क्या उन्हें भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और अन्य सभी पदों को तत्काल नहीं छोड़ देना चाहिए? क्या उन्हें विधायक के तौर पर इस्तीफा नहीं देना चाहिए क्योंकि वह कमल के निशान पर सीट जीते हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुकुल की वापसी साबित करती है कि भाजपा किसी को भी चैन से नहीं रहने देती और सब पर अनुचित दबाव डालती है।’’ ममता और रॉय दोनों ने दावा किया कि कभी भी कोई मतभेद नहीं था। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी दूसरे दल में शामिल हो गए अन्य नेताओं को भी वापस लेगी, ममता ने स्पष्ट किया कि अप्रैल-मई के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले लोगों को वापस नहीं लिया जाएगा।
हाजरा ने मुकुल रॉय के तृणमूल कांग्रेस में लौटने से कुछ घंटे पहले कहा कि भाजपा में गुटबाजी की राजनीति की वजह से ऐसा हो रहा है। उन्होंने ट्वीट किया कि समय आ गया है कि भाजपा की प्रदेश इकाई इस तरीके पर रोक लगाए और नेताओं की योग्यता के हिसाब से उनका उपयोग किया जाए। हाजरा भी 2018 में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आ गये थे।
उन्होंने साफ किया कि वह हर परिस्थिति में भाजपा में रहेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा में एक या दो नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी गयी, वहीं बाकी की अनदेखी की गयी। माना जा रहा है कि वह तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए राजीब बनर्जी, वैशाली डालमिया और प्रबीर घोषाल की बात कर रहे थे, जो कुछ महीने पहले विशेष विमान से दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मिलने गये थे।
प्रदेश भाजपा के कुछ नेताओं का मानना है कि रॉय और सब्यसाची दत्ता समेत वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा चुनाव में अहमियत नहीं दी गयी, वहीं शुभेंदु अधिकारी और अभिनेता-नेता मिथुन चक्रवर्ती जैसे कुछ नेताओं को सारी जिम्मेदारी दे दी गयी। भाजपा की महत्वपूर्ण बैठकों में नहीं बुलाये जाने का संकेत देते हुए हाजरा ने कहा, ‘‘उम्मीद है कि प्रोटोकॉल के मुताबिक प्रदेश भाजपा की बैठकों में शामिल होने के लिए बुलाया जाएगा।’’