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नयी रणनीतिक पहचान के तहत तृणमूल कांग्रेस ने युवा चेहरों को दी तरजीह

By भाषा | Updated: June 6, 2021 20:46 IST

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कोलकाता, छह जून तृणमूल कांग्रेस ने अगली पीढ़ी के युवा नेताओं को संगठन में तरजीह दी है, जिसे आगामी चुनावों से पहले पार्टी की छवि को बदलने की अहम रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने अपने भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी को पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया है। राष्ट्रीय महासचिव का पद संगठन में दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है। ऐसे में यह कदम अभिषेक को पार्टी के अगले नेता के तौर पर पेश करने की कवायद है।

इसी तरह के कदम अन्य क्षेत्रीय दलों में भी देखने को मिले हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेटे जहां पार्टी की कमान संभाल रहे हैं, वहीं बिहार में भी राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के हाथ में पार्टी की बागडोर सौंपी गई है।

हाल में संपन्न पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी के बाद अभिषेक ही तृणमूल कांग्रेस के दूसरे सबसे महत्वूपर्ण प्रचारक रहे।

हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इसे परिवारवाद या वंशवाद की तरह से नहीं देखा जाना चाहिए, जैसा कि आरोप विपक्षी दल लगा रहे हैं। उनका दावा है कि युवा नेताओं को अहम पद देकर उनके कड़े परिश्रम का पुरस्कार दिया गया है। साथ ही आने वाले आम एवं विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर नेताओं की अगली कतार तैयार की जा रही है।

तृणमूल कांग्रेस की राज्य इकाई के नवनियुक्त महासचिव कुणाल घोष ने कहा, '' नए चेहरों को शामिल किए जाने का यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि तृणमूल कांग्रेस पुराने एवं अनुभवी नेताओं को नजरअंदाज कर रही है बल्कि वे सभी युवा नेताओं का मार्गदर्शन करते रहेंगे।''

ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के करीबी समझे जाने वाले घोष ने दावा किया कि युवा चेहरों को लोकसभा चुनाव से करीब तीन साल पहले ही लोगों के बीच पेश करने के मकसद से पार्टी ने यह कदम उठाया है। युवा नेता जनता के बीच राज्य सरकार के विकास कार्यों को पहुंचाने के साथ ही भाजपा के कथित फर्जी सांप्रदायिक दावों की भी पोल खोलेंगे।

मशहूर राजनीतिक पर्यवेक्षक रजत रॉय ने कहा कि पार्टी में नए चेहरों को आगे लाने का मकसद पार्टी की छवि को नयी रणनीतिक पहचान देना है। विधानसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी के कई पुराने नेताओं की बजाय नए चेहरों को मैदान में उतारना भी पूर्व-नियोजित रणनीति का ही हिस्सा था।

अगले लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को जिले के त्रिस्तरीय चुनाव के अलावा 80 नगर पालिकाओं और चार नगर निगमों के चुनावों का भी सामना करना है। ऐसे में युवा चेहरों को सामने लाना राजनीतिक नजरिये से अहम माना जा रहा है।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं इसलिए युवा चेहरों की अगली कतार को तैयार किया जा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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