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शेष बचे तीन चरणों में मतदान के मद्देनजर तृणमूल, भाजपा ने बदली रणनीति

By भाषा | Updated: April 20, 2021 19:25 IST

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कोलकाता, 20 अप्रैल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा और सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने एक दूसरे के खिलाफ जमकर बयानबाजी की और आरोप-प्रत्यारोप लगाए लेकिन अब आखिरी के तीन चरणों के मतदान के मद्देनजर दोनों ही दलों को अपनी रणनीति बदलने को मजबूर होना पड़ा है।

तृणमूल कांग्रेस ने ‘‘बांग्ला निजेर मेये के चाय’’ (बंगाल अपनी बेटी को चाहता है) और ‘‘दुआरे सोरकार’’ (सरकार आपके द्वार) के नारे के साथ से आठ चरणों के इस चुनाव में अपने अभियान की शुरुआत की थी लेकिन अब उसने रणनीति बदलते हुए इसके केंद्र में कोविड-19 महामारी को ला दिया है।

कोविड-19 की ताजा लहर और रोजाना आ रहे डराने वाले आंकड़ों का हवाला देकर वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सीधे हमले कर रही हैं और आरोप लगा रही है कि उन्होंने इसके मद्देनजर कोई तैयारी नहीं की।

मुख्यमंत्री पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रही हैं और कह रही बड़ी संख्या में उसके ‘‘बाहरी नेताओं’’ के आने से राज्य में यह स्थिति पैदा हुई है।

ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं पर कटमनी, तोलाबाजी और सिंडिकेट जैसे भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर आक्रामकता से प्रचार कर रही भाजपा अब कोविड प्रबंधन के आरोपों के मद्देनजर बचाव की मुद्रा में आ गई है।

कलकत्ता शोध समूह के निदेशक और प्रसिद्ध राजनीतिक विज्ञानी रणबीर समाद्दार ने कहा, ‘‘बनर्जी के अभियान में जीवंतता थी, वहीं भ्रष्टाचार के मुद्दों पर तृणमूल कांग्रेस को घेरेते हुए विकास करने का भाजपा का अभियान बेहतर तरीके से क्रियान्वित किया गया। भाजपा ने बंगाली समाज की खामियों का भी बखूबी इस्तेमाल किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब ममता बनर्जी को यह समझ आया है कि इतने लंबे चुनावी अभियान में सिर्फ विकास और भाषा की बदौलत बढ़त नहीं बनाई जा सकती है। उनके सलाहकारों को कोविड-19 प्रबंधन का मुद्दा पहले से रेखांकित करना था।’’

उल्लेखनीय है कि कोलकाता और दक्षिण बंगाल के औद्योगिक शहरों में तकरीबन 10 लाख की आबादी हिन्दी भाषियों की है और इन्हें लुभाने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ा है।

जब ममता बनर्जी भाजपा के नेताओं को ‘‘बाहरी’’ कहती हैं तो भगवा दल उनसे बाहरी की परिभाषा पूछकर उन्हें घेरने की कोशिश करता रहा है। लिहाजा ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को बार-बार इस बारे में सफाई भी पेश करनी पड़ती रही है।

तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आए दिनेश त्रिवेदी कहते हैं, ‘‘कोलकाता में हमेशा महानगरीय संस्कृति रही है। यही पश्चिम बंगाल की खूबसूरती भी है। हम सब यहां आकर बांग्ला संस्कृति से प्रेम करने लगे हैं। बंगालियों ने भी देश के विभन्न हिस्सों से आए लोगों को अपनाया।’’

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक चुनावों में महिला मतदाताओं का भारी संख्या में मतदान करने से तृणमूल कांग्रेस को फायदा मिल सकता है क्योंकि महिलाओं के बीच ममता बनर्जी की बहुत लोकप्रियता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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