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इस साल त्योहारों के सीजन में चीन को मिला 40000 करोड़ का झटका, भारत के कारोबारियों बेचा 72000 करोड़ रुपये का माल

By स्वाति सिंह | Updated: November 16, 2020 20:23 IST

ऑनलाइन मंच लोकलसर्किल्स के सर्वेक्षण के अनुसार पिछले साल बाजार में करीब 48 प्रतिशत लोगों ने त्यौहारी मौसम के दौरान चीनी उत्पादों को लेकर पूछताछ की थी। कंपनी ने 14000 से अधिक लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया है।

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ठळक मुद्देत्योहारों के सीजन में भारतीय ग्राहकों में ‘चीन में निर्मित’ वस्तुओं के प्रति रूझान में गिरावट देखी गयी। इस दिवाली घरेलू कारोबारियों ने 72000 रुपये का माल बेचा।

नई दिल्ली: इस साल त्यौहारी खरीद के दौरान भारतीय ग्राहकों में ‘चीन में निर्मित’ वस्तुओं के प्रति रूझान में गिरावट देखी गयी। इस दिवाली घरेलू कारोबारियों ने 72000 रुपये का माल बेचा। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने यह ताजा जानकारी दी है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, भारतीय विक्रेताओं की तरफ से किए गए बहिष्कार के बीच इस दिवाली सीजन में चीनी एक्सपोर्टर्स को 40000 करोड़ रुपये का जोरदार नुकसान हुआ

मात्र 29 प्रतिशत लोगों ने ही चीन में निर्मित वस्तुओं को लेकर बाजार में पूछ-ताछ की। ऑनलाइन मंच लोकलसर्किल्स के सर्वेक्षण के अनुसार पिछले साल बाजार में करीब 48 प्रतिशत लोगों ने त्यौहारी मौसम के दौरान चीनी उत्पादों को लेकर पूछताछ की थी। कंपनी ने 14000 से अधिक लोगों के बीच यह सर्वेक्षण किया है। पिछले साल भी लोगों से लगभग समान सवाल करके सर्वेक्षण के निष्कर्ष निकाले गए थे। 

कंपनी के संस्थापक और चेयरमैन सचिन तापड़िया ने एक बयान में कहा, 'नवंबर 2019 में ग्राहकों से समान सवाल किए गए थे और 48 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने त्यौहारी मौसम में चीनी उत्पाद खरीदने की बात कही थी। इस साल यह आंकड़ा घटकर 29 प्रतिशत रह गया। सालाना आधार पर देखा जाए तो यह 40 प्रतिशत की गिरावट है।' 

इन 29 प्रतिशत में से 71 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने इस बार कोई जान बूझ कर या अपना मन बनाकर चीन विनिर्मित माल नहीं खरीदा। लेकिन 66 प्रतिशत ने यह जरूरी करा कि वे कम पैसे में खरीदारी करना चाहते थे इस लिए उन्होंने चीन का माल ले लिया। 

यह सर्वेक्षण देश के 204 शहरों में 10 से 15 नवंबर के बीच किया गया। इस साल जून में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी फौजों की घुस-पैठ रोकने के दौरान संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों के वीरगति प्राप्त होने के बाद से भारत में चीन विरोधी भावना जगी है। 

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