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टूलकिट मामला: पुलिस ने ‘जूम’ एप से 11 जनवरी को हुई ऑनलाइन बैठक में शामिल लोगों की जानकारी मांगी

By भाषा | Updated: February 16, 2021 19:15 IST

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नयी दिल्ली, 16 फरवरी टूलकिट मामले में अपनी जांच को तेज करते हुए दिल्ली पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मंच ‘जूम’ को पत्र लिखकर, कथित तौर पर खालिस्तान समर्थक एक समूह द्वारा 11 जनवरी को आयोजित ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए लोगों के संबंध में जानकारी मांगी है, जबकि जांचकर्ता वित्त पोषण के पहलू की भी जांच कर रहे है।

दिल्ली महिला आयोग ने शहर पुलिस को नोटिस भेजकर ‘टूलकिट’ मामले में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को अदालत में पेश करने से पहले कथित तौर पर उनकी पसंद का वकील मुहैया नहीं कराने पर रिपोर्ट तलब की है।

हालांकि, पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव ने किसी भी चूक से इनकार किया है।

दिल्ली पुलिस के प्रमुख ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ दिशा रवि की गिरफ्तारी कानून के अनुरूप की गई है, जो 22 से 50 वर्षीय की आयु के लोगों के बीच कोई भेदभाव नहीं करता।’’

श्रीवास्तव ने कि यह गलत है जब लोग कहते हैं कि 22 वर्षीय कार्यकर्ता की गिरफ्तारी में चूक हुई।

सूत्रों ने कहा कि पुलिस के पिछले साल दिसंबर में बनाए गए 'इंटरनेशनल फार्मर्स स्ट्राइक' समूह का विवरण लेने के लिए व्हाट्सएप से संपर्क करने की भी संभावना है।

दिल्ली पुलिस ने सोमवार को आरोप लगाया था कि दिशा रवि और मुम्बई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु ने ‘टूलकिट’ तैयार की और दूसरों के साथ इसे साझा करके भारत की छवि ‘‘धूमिल’’ करने की कोशिश की।

पुलिस ने दावा किया था कि बेंगलुरु से शनिवार को गिरफ्तार की गई दिशा रवि ने जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को टेलीग्राम ऐप के जरिये ‘‘टूलकिट’’ भेजी थी और उस पर कार्रवाई करने के लिए उसे राजी किया था।

‘टूलकिट’ में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है।

पुलिस ने आरोप लगाया है कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा से कुछ दिन पहले ‘जूम’ एप पर आयोजित बैठक में निकिता जैकब और शांतनु सहित 70 लोगों ने हिस्सा लिया था।

इस हिंसा में 500 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हो गए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हुई थी।

पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि शांतनु 20 जनवरी से 27 जनवरी के बीच राष्ट्रीय राजधानी में था लेकिन इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया।

अधिकारी ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एप ‘जूम’ को पत्र लिख, 11 जनवरी को ऑनलाइन बैठक में शामिल हुए लोगों के संबंध में जानकारी मांगी है।’’

एक सूत्र ने कहा, ‘‘हम टूलकिट मामले में वित्त पोषण मॉड्यूल की जांच करने की भी कोशिश कर रहे हैं।’’

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को दस्तावेज पर अब तक गूगल की ओर से जांच का जवाब नहीं मिला है।

मंगलवार को दिल्ली महिला आयोग ने शहर पुलिस को मामले में दर्ज प्राथमिकी की प्रति देने के साथ-साथ ट्रांजिट रिमांड के लिए स्थानीय अदालत में कथित तौर पर पेश नहीं करने, यहां अदालत में पेश करने के दौरान उनके पंसद का वकील मुहैया नहीं करने की वजह बताने को कहा है। आयोग ने कार्रवाई रिपोर्ट भी तलब की है।

आयोग ने दिल्ली पुलिस को शुक्रवार तक मांगी गई जानकारी देने को कहा है।

संयुक्त पुलिस आयुक्त (साइबर) प्रेम नाथ ने बताया था कि गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा से 15 दिन पहले 11 जनवरी को इन दोनों ने ‘खालिस्तान समर्थक समूह’ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (पीएफजे) द्वारा ऑनलाइन जूम ऐप के माध्यम से आयोजित एक बैठक में भाग लिया था।

नाथ ने कहा था कि बैठक में ‘‘ग्लोबल फार्मर स्ट्राइक’’ और ‘‘ग्लोबल डे ऑफ एक्शन, 26 जनवरी’’ शीर्षक से टूलकिट बनाने के तौर तरीकों पर फैसला लिया गया।

अधिकारियों ने बताया कि वे पीटर फ्रेडरिक नामक एक व्यक्ति के जरिये आईएसआई के संबंधों की जांच कर रहे हैं जिसका नाम दस्तावेज़ में है और जिसे संगठन के एक संचालक के साथ जुड़ा हुआ माना जाता है।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिशा रवि के साथ निकिता और शांतनु ने किसानों के आंदोलन के संबंधित ‘‘टूलकिट’’ बनाई थी और भारत की छवि को धूमिल करने के लिए उसे अन्य लोगों के साथ साझा किया था

नाथ ने कहा था कि खालिस्तानी समर्थक समूह पीएफजे के संस्थापक मो धालीवाल ने कनाडा की एक महिला पुनीत के माध्यम से उनसे संपर्क किया था।

पुलिस ने कहा था कि वे ‘‘टूलकिट’’ के संबंध में पीटर फ्रेडरिक नामक एक व्यक्ति की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं।

पुलिस ने बताया था कि फ्रेडरिक 2006 के अंत से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों की रडार पर है, जब उन्हें भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी की कंपनी में देखा गया था। भिंडर आईएसआई के , के2 डेस्क से जुड़ा प्रमुख व्यक्ति है। फ्रेडरिक का जुड़ाव भिंडर से है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा था, ‘‘उसका (पीटर्स का) नाम दस्तावेज़ में क्यों है। क्या उन्होंने उसे मो.धालीवाल के माध्यम से फ्रेडरिक से संपर्क किया या सीधे उनसे संपर्क किया, यह जांच का विषय है।’’

गौरतलब है कि केन्द्र के नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान 26 जनवरी को पुलिस के साथ हिंसक झड़प हो गई थी। गणतंत्र दिवस पर हुई इस झड़प में 500 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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