टूलकिट मामला: निकिता व शांतनु ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया

By भाषा | Updated: February 15, 2021 22:09 IST2021-02-15T22:09:22+5:302021-02-15T22:09:22+5:30

Toolkit case: Nikita and Shantanu move High Court for transit anticipatory bail | टूलकिट मामला: निकिता व शांतनु ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया

टूलकिट मामला: निकिता व शांतनु ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया

मुम्बई, 15 फरवरी जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा सोशल मीडिया पर किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी ‘टूलकिट’ साझा किये जाने के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज मामले में आरोपी वकील निकिता जैकब और पर्यावरण कार्यकर्ता शांतनु मुलुक ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय का रुख किया।

इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

दोनों ने अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। अदालत मंगलवार को याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

दिल्ली पुलिस के अनुसार, दोनों पर दस्तावेज तैयार करने और ‘‘खालिस्तान-समर्थक तत्वों’’ के सीधे सम्पर्क में होने का आरोप है।

जैकब ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी. डी. नाइक की एकल पीठ से याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि वह मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करेगा।

जैकब ने चार सप्ताह के लिये ट्रांजिट अग्रिम जमानत की मांग की है, ताकि वह दिल्ली में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने के लिये संबंधित अदालत का रुख कर सके।

मध्य महाराष्ट्र के बीड जिले के निवासी मुलुक ने अपनी याचिका उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ में दायर किया।

याचिका में कहा, ‘‘ आवेदक (जैकब) को डर है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध और ‘मीडिया ट्रायल’ के कारण गिरफ्तार किया जा सकता है।’’

याचिका में कहा गया कि मामले में दर्ज प्राथमिकी ‘‘गलत एवं निराधार है’’ और जैकब ने अभी तक दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ के साथ सहयोग किया है तथा बयान भी दर्ज कराया है।

याचिका में कहा, ‘‘ ‘‘लीगल राइट्स आर्ब्जवेटरी’ नाम की एक संस्था ने दिल्ली पुलिस के समक्ष गलत और निराधार शिकायत दर्ज कराई है और 26 जनवरी 2021 को हुई हिंसा का दोष आवेदक पर लगाने की कोशिश की है।’’

याचिका के अनुसार, 11 फरवरी को दिल्ली पुलिस जैकब के मुम्बई के गोरेगांव इलाके में स्थित घर पर तलाशी वारंट के साथ पहुंची थी और उसने कुछ दस्तावेज तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए थे।

उसके अनुसार, ‘‘ आवेदक का जागरूकता फैलाने या हिंसा, दंगे भड़काने या किसी को शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए संचार पैक/ टूलकिट पर शोध, चर्चा करने, उसका सम्पादन करने का कोई धार्मिक, राजनीतिक या वित्तीय उद्देश्य या एजेंडा नहीं है।’’

उसने कहा कि जैकब बंबई उच्च न्यायालय में वकील हैं और पर्यावरण संबंधी मामले के लिए स्वेच्छा से काम करती हैं।

आवेदन में कहा, ‘‘आवेदक हाल ही में पारित हुए कृषि कानूनों को लेकर और किसानों को खलनायक के तौर पर पेश करने को लेकर बेहद चिंतित हैं।’’

उसके अनुसार, जैकब की निजी जानकारियां सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही हैं।

आवेदन में कहा गया है कि उनका आम आदमी पार्टी (आप) जैसे राजनीतिक दलों के साथ संबंध होने का दावा करके जैकब के खिलाफ नफरत एवं हिंसा भड़काने के लिए झूठ फैलाया जा रहा है।

केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली से लगी सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देते हुए जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने यह ‘टूलकिट’ साझा की थी।

‘टूलकिट’ में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है।

कुछ आलोचकों का कहना है कि ‘टूलकिट’ भारत में प्रदर्शनों को हवा देने की उनकी साजिश का ‘‘सबूत’’ हैं।

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Web Title: Toolkit case: Nikita and Shantanu move High Court for transit anticipatory bail

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