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आज के भारतीय स्टार्टअप ही कल की बहुराष्ट्रीय कंपनियां: मोदी

By भाषा | Updated: January 2, 2021 18:32 IST

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संबलपुर (ओडिशा), दो जनवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारतीय स्टार्टअप कल की बहुराष्ट्रीय कंपनियां है जो ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ के लक्ष्य को हासिल करने में लंबी दूरी तय कर सकते हैं।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से यहां स्थित भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) के स्थायी परिसर की आधारशिला रखने के बाद उन्होंने कहा कि

बीते दशकों में बाहर बनी बहुराष्ट्रीय कंपनियां बड़ी संख्या में देश में आईं और यहां फली-फूली लेकिन ये दशक भारत में नई-नई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निर्माण का है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का सामर्थ्‍य दुनिया में छा जाए, इसके लिए ये उत्तम कालखंड आया है। आज के स्टार्टअप ही कल के मल्टी नेशनल्स हैं।’’

यह रेखांकित करते हुए कि भारत में ज्यादातर स्टार्टअप टीयर-2 और टीयर-3 शहरों में देखने को मिलते हैं, मोदी ने कहा इन स्टार्टअप को और आगे बढ़ने के लिए ‘‘बेहतरीन मैनेजर’’ चाहिए।

उन्होंने युवाओं से इन नई संभावनाओं के लिए खुद को तैयार करने का आह्वान किया और वे अपने करियर को भारत की आशाओं और अपेक्षाओं के साथ जोड़ें।

मोदी ने कहा, ‘‘इस नए दशक में ब्रांड इंडिया को नई वैश्विक पहचान दिलाने की जिम्मेदारी हम सब पर है। विशेष रूप से हमारे नौजवानों पर है।’’

उन्होंने कहा कि साल 2014 तक देश में जहां सिर्फ 13 आईआईएम थे वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 20 हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘इतना बड़ी संख्या में शिक्षा पा रहे प्रतिभाशाली युवा आत्मनिर्भर भारत अभियान को बहुत विस्तार दे सकते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि नवोन्मेष, समग्रता और समावेश प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण मंत्र के रूप में उभरे हैं, जो देश को आत्मनिर्भर बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोगपूर्ण, नवोन्मेषी और परिवर्तनकारी अवधारणाओं से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

प्रौद्योगिकी की वजह से क्षेत्रों के बीच कम होती दूरियों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने विश्व भर में हो रहे बदलावों के मद्देनजर डिजिटल संपर्क के क्षेत्र में तेजी से सुधार किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रौद्योगिकी का प्रबंधन मानव प्रबंधन की तरह ही महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने यहां के छात्रों से ‘‘लोकल को ग्लोबल’’ बनाने के लिए नए और नवोन्मेषी समाधान सुझाने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रबंधन का मतलब बड़ी-बड़ी कंपनियां संभालना ही नहीं होता बल्कि सच्‍चे अर्थ में भारत जैसे देश के लिए प्रबंधन का मतलब जिंदगियां संभालना भी होता है।

उन्‍होंने कहा, ‘‘ आप देश की जरूरतों से जुड़ेंगे, देश की चुनौतियों को समझेंगे, उतने ही अच्छे प्रबंधक भी बन पाएंगे और उतने ही अच्‍छे उत्तम समाधान भी दे पाएंगे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि संबलपुर के परिसर के शिलान्यास के साथ ही ओडिशा के युवा सामर्थ्य को मजबूती देने वाली एक नवीन शिला भी रखी गई है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि यह ओडिशा को प्रबंधन की दुनिया में नई पहचान दिलाएगा और कहा कि देश के नए क्षेत्रों में नए अनुभव लेकर निकल रहे प्रबंध मामलों के विशेषज्ञ भारत को नई ऊंचाई पर ले जाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘संबलपुर का आईआईएम और इस क्षेत्र में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए खास बात यह होगी की यह पूरी जगह ही एक प्राकृतिक लैब (प्रयोगशाला) की तरह है।’’

उन्‍होंने कहा कि छोटे शहरों में ऐसे उच्‍च शिक्षा संस्‍थानों की स्‍थापना से देश में स्‍टार्टअप्‍स व्‍यवस्‍था को व्‍यापक और मजबूत करने में सहायता मिलती है।

संबलपुर और उसके आसपास की हाई-ग्रेड आयरन अयस्क, बॉक्साइट, क्रोमाइट, मैंगनीज, कोल-लाइमस्टोन, सोना, जेमस्टोन और हीरे जैसी प्राकृतिक संपदा का उल्लेख करते हुए मोदी ने छात्रों से कहा इनका बेहतर प्रबंधन कैसे हो और कैसे ये पूरे क्षेत्र का विकास करें इस बारे में छात्रों को नये विचारों पर काम करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा में वन संपदा, खनिज, रंगबती-संगीत, आदिवासी आर्ट और क्राफ्ट, स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की कविताएं, यहां क्या नहीं है ओडिशा के पास। जब आप में से अनेक साथी, संबलपुरी टेक्सटाइल्स या फिर कटक की फिलिग्री कारीगरी को वैश्विक पहचान दिलाने में अपने कौशल का इस्तेमाल करेंगे, यहां के टूरिज्म को बढ़ाने के लिए काम करेंगे तो आत्मनिर्भर भारत अभियान के साथ ही ओडिशा के विकास को भी और गति मिलेगी और नई ऊंचाई मिलेगी।’’

इस समारोह में ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और केंद्रीय पशुपालन राज्य मंत्री प्रतापचंद्र सारंगी भी शामिल हुए।

इसमें उद्योग जगत के अग्रणी नेताओं, शिक्षाविदों, छात्रों, पूर्व छात्रों और आईआईएम संबलपुर के शिक्षकों सहित 5000 से अधिक लोग भी डिजिटल माध्यम से जुड़े।

आईआईएम संबलपुर फ्लिप्ड क्लासरूम के आइडिया को लागू करने वाला पहला आईआईएम है, जहां मूलभूत अवधारणाओं को डिजिटिल तरीके से सिखाया जाता है और उद्योग से लाइव प्रोजेक्ट के माध्यम से कक्षा में प्रायोगिक शिक्षा दी जाती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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