तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने हाल में ससंद के दोनों सदनों से पास किये जा चुके नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हालांकि, चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस पर आज ही तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और वकील को मेंशनिंग ऑफिसर के सामने पहले दर्द कराने को कहा।
तृणमूल कांग्रेस संसद के दोनों सदनों में इस बिल का विरोध करती रही है। हालांकि, इसके बावजूद बहुमत के आधार पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इसी हफ्ते पहले लोकसभा और फिर राज्य में आसानी से पारित कराया। इसके बाद इस बिल को गुरुवार शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपनी मंजूरी दे दी।
नागरिकता संसोधन विधेयक को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने गुरुवार को इस कानून को कोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि इस विधेयक से संविधान में प्रदत्त समता के मौलिक अधिकार का हनन होता है और इसका मकसद धर्म के आधार पर एक तबके को अलग रखते हुये अवैध शरणार्थियों के एक वर्ग को नागरिकता प्रदान करना है।
इस विधेयक में पाकिस्तान, अफ्गानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रस्ताव है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की याचिका में कहा गया है, 'शरणार्थियों को नागरिकता दिये जाने के बारे में कोई शिकायत नहीं है लेकिन याचिकाकर्ता की शिकायत धर्म के आधार पर भेदभाव और अनुचित वर्गीकरण को लेकर है।' याचिका में साथ ही कहा गया है, 'गैरकानूनी शरणार्थी अपने आप में ही एक वर्ग है और इसलिए उनके धर्म, जाति या राष्ट्रीयता के आधार के बगैर ही उन पर कोई कानून लागू किया जाना चाहिए।'
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी सीएबी को 'संदिग्ध' बताते हुए को कहा है कि इसे जल्द ही इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'यह एक संदिग्ध कानून है और इसे जल्द ही चुनौती दी जाएगी। अभी ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती, लेकिन जल्द ही इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।' कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार को संकेत दिया था कि पार्टी संसद से पारित नागरिकता (संशोधन) विधेयक को अदालत में चुनौती दे सकती है।
(भाषा इनपुट)