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पुस्तक में तिवारी के विचार कांग्रेस की विफलता का कबूलनामा: भाजपा

By भाषा | Updated: November 23, 2021 21:17 IST

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नयी दिल्ली, 23 नवंबर पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी की एक पुस्तक के कुछ उद्धरणों का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के बाद जिस प्रकार की मजबूत जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए थी, वैसी नहीं की और राष्ट्रीय सुरक्षा को ताक पर रखा।

पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि इससे साबित होता है कि कांग्रेस की सरकार ‘‘निकम्मी’’ थी।

तिवारी ने अपनी पुस्तक ‘‘10 फ्लैश प्वाइंट्स, 20 इयर्स-नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशन दैट इम्पैक्टेड इंडिया’’ में ‘‘भारत के 9/11 (मुंबई में आतंकवादी हमले) के बाद के दिनों में त्वरित कार्रवाई’’ नहीं करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार की आलोचना की है।

उन्होंने अपनी पुस्तक में पिछले दो दशक के देश के सुरक्षा हालात पर प्रकाश डाला है। यह पुस्तक दो दिसंबर से पाठकों के लिए उपलब्ध होगी।

तिवारी ने मंगलवार को ट्विटर पर अपनी इस पुस्तक के कुछ अंश साझा किए। पुस्तक में उन्होंने लिखा, ‘‘अगर किसी देश (पाकिस्तान) को निर्दोष लोगों के कत्लेआम का कोई खेद नहीं है तो संयम ताकत की पहचान नहीं है, बल्कि कमजोरी की निशानी है। ऐसे मौके आते हैं जब शब्दों से ज्यादा कार्रवाई दिखनी चाहिए। 26/11 एक ऐसा ही मौका था।’’

पंजाब के आनंदपुर साहिब से कांग्रेस के सांसद तिवारी ने मुंबई आतंकी हमले को क्रूर हमला करार देते हुए इसे ‘भारत का 9/11’ करार दिया। उन्होंने कहा, ‘‘एक ऐसा समय था जब भारत को प्रतिक्रिया में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी।’’

गौरतलब है कि 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में आतंकवादी हमले हुए थे। आतंकवादियों ने दो अमेरिकी यात्री विमानों को न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की दो गगनचुंबी इमारतों से टकरा दिया था। इस हादसे में हजारों लोगों की मौत हुई थी।

भाटिया ने कहा कि मनीष तिवारी की पुस्तक में जो तथ्य सामने आए हैं, उसे कांग्रेस की ‘‘विफलता का कबूलनामा’’ कहना ही उपयुक्त होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘इस पुस्तक का सारांश है कि संयम शक्ति की निशानी नहीं है। मुंबई हमले के समय संयम को कमजोरी माना जा सकता है। भारत को उस समय कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए थी, जब कांग्रेस की विफलताओं का यह कबूलनामा पढ़ा, तो हर भारतीय की तरह हमें भी बड़ी पीड़ा हुई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस तथ्य के बाद आज स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस की जो सरकार थी, वह निठल्ली और निकम्मी थी। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे पर भारत की अखंडता की भी उसे चिंता नहीं थी।’’

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस शासन में मंत्री रहे मनीष तिवारी ने स्वीकारा है कि उनकी सरकार ने राष्ट्र की सुरक्षा को दांव पर लगा दिया था।

भाटिया ने इस प्रकरण में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से चुप्पी तोड़ने की मांग करते हुए सवाल उठाया कि उस समय भारतीय सेना को अनुमति और खुली छूट क्यों नहीं दी गयी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सेना पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अनुमति मांग रही थी कि हम पाकिस्तान को सबक सिखाएंगे। लेकिन उन्हें अनुमति क्यों नहीं दी गई?’’

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी भाटिया के सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के बाद एक और कांग्रेस नेता ने ‘‘अपनी पुस्तक की बिक्री के लिए संप्रग को ताक पर रख दिया है।’’

संप्रग सरकार की आलोचना वाले पुस्तक के अंश को साझा करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मनीष तिवारी ने अपनी नयी पुस्तक में 26/11 के बाद संयम के नाम पर संप्रग के संयम की आलोचना की है। वायु सेना के प्रमुख फली मेजर ने पहले ही कहा है कि भारतीय वायुसेना ने कहा है कि भारतीय वायुसेना जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार थी, लेकिन संप्रग सरकार ने इसपर रोक लगा दी।’’

तिवारी ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि पुस्तक के एक उद्धरण को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी की इस प्रतिक्रिया पर उन्हें हंसी आती है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मुझे 304 पृष्ठों की किताब से एक उद्धरण पर भाजपा की प्रतिक्रिया पर हंसी आती है। इस पुस्तक में भारत को प्रभावित करने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा हालात संबंधी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है। मुझे हैरानी होगी कि अगर भाजपा अपने शासनकाल के समय राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति से निपटने के संदर्भ में किए गए ‘कड़े विश्लेषण’ पर भी इसी तरह की प्रतिक्रिया दे।’’

उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्री मार्ग से मुंबई के विभिन्न इलाकों में घुस गए थे और उन्होंने अलग-अलग स्थानों पर गोलीबारी शुरू कर दी थी। इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे।

इस आतंकवादी हमले में एकमात्र जिंदा बचे आतंकवादी अजमल कसाब को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसे चार साल बाद 21 नवंबर, 2012 को फांसी दी गई थी।

तिवारी की इस पुस्तक से कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस नेता खुर्शीद की पुस्तक ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ को लेकर विवाद खड़ा हुआ था क्योंकि इसमें उन्होंने कथित तौर पर हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस और बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों के साथ की थी।

विवाद खड़ा होने के बाद खुर्शीद ने कहा था कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व में फर्क है और उन्होंने किसी को आतंकवादी नहीं कहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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