तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल का विस्तार शुक्रवार को संभावित

By भाषा | Updated: March 11, 2021 20:43 IST2021-03-11T20:43:14+5:302021-03-11T20:43:14+5:30

Tirath Singh Rawat's cabinet expansion likely on Friday | तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल का विस्तार शुक्रवार को संभावित

तीरथ सिंह रावत मंत्रिमंडल का विस्तार शुक्रवार को संभावित

देहरादून, 11 मार्च उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने कहा कि शुक्रवार को मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी तक इस बारे में उनके पास कोई आधिकारिक सूचना नहीं है।

बुधवार शाम रावत ने राजभवन में अकेले ही शपथ ली थी।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि रावत के सामने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दो बड़ी चुनौतियां हैं। पहली चुनौती कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए उन विधायकों को लेकर है जो त्रिवेंद्र सिंह रावत मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभाल रहे थे। इनमें सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल और रेखा आर्य शामिल थे।

मुख्यमंत्री के सामने दूसरी बड़ी चुनौती कुमाउं और गढवाल के बीच सामंजस्य और क्षेत्रीय संतुलन बनाने की है।

पूर्ववर्ती मंत्रिमंडल में त्रिवेंद्र सिंह रावत के अलावा भाजपा के केवल तीन विधायकों को ही जगह मिल पाई थी जिनमें मदन कौशिक, अरविंद पांडे तथा धनसिंह रावत शामिल थे। कौशिक और पांडे जहां कैबिनेट मंत्री थे वहीं धन सिंह को राज्यमंत्री के रूप में जगह दी गयी थी।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में प्रदेश की 70 में से 57 सीटों पर जीत हासिल करके जबरदस्त बहुमत से सत्ता में आई भाजपा सरकार की कमान संभालते समय त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने मंत्रिमंडल में अपने अलावा केवल नौ मंत्रियों को ही शामिल किया था।

प्रदेश मंत्रिमंडल में अधिकतम 12 सदस्य हो सकते हैं लेकिन त्रिवेंद्र सिंह मंत्रिमंडल में दो पद खाली छोड़ दिए गए। जून 2019 में प्रदेश के वित्त और आबकारी मंत्री प्रकाश पंत का निधन हो गया जिसके बाद रिक्त मंत्री पदों की संख्या तीन हो गई।

हालांकि, बार—बार चर्चाओं के बाद भी ये पद कभी भरे नहीं गए और जानकारों का कहना है कि इसे लेकर विधायकों की नाराजगी भी त्रिवेंद्र सिंह रावत के सत्ता से बाहर होने का एक प्रमुख कारण रही।

वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ हुई बगावत के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले 10 विधायकों में से नौ को पार्टी का टिकट मिला जिनमें से दो को छोड़कर सभी चुनाव जीते। एक अन्य विधायक अमृता रावत की जगह उनके पति सतपाल महाराज को वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का टिकट काटकर चौबटटाखाल से चुनावी समर में उतारा गया जहां से वह जीत भी गए।

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री रावत अपने मंत्रिमंडल में कांग्रेस से आए विधायकों कितना महत्व देते हैं। वह पुरानी स्थिति को यथावत रखेंगे या इसमें कोई फेरबदल कर पार्टी के पुराने नेताओं पर ज्यादा भरोसा करेंगे।

तीरथ सिंह रावत के सामने दूसरी बड़ी चुनौती गढवाल और कुमांउ के बीच क्षेत्रीय संतुलन साधने की भी होगी। कुमांउ से बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चंपावत के भाजपा विधायक पिछले मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से नाराज थे और अब इनकी नाराजगी दूर करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।

इसके अलावा, देहरादून कैंट से लगातार आठ बार विधायक चुने गए वरिष्ठ भाजपा विधायक हरबंस कपूर तथा काशीपुर के चार बार के विधायक हरभजन सिंह चीमा भी वरिष्ठता को सम्मान न मिलने से आहत थे।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि कई भाजपा विधायकों ने तो मंत्रिमंडल में जगह पाने के लिए लॉबिंग भी शुरू कर दी है और दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं।

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Web Title: Tirath Singh Rawat's cabinet expansion likely on Friday

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