विवाहिता के प्रति प्रेम प्रकट करते हुए पर्ची फेंकना उसका शील भंग करने के समान: बंबई उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: August 10, 2021 17:58 IST2021-08-10T17:58:32+5:302021-08-10T17:58:32+5:30

Throwing a slip showing love for a married woman tantamounts to outraging her modesty: Bombay High Court | विवाहिता के प्रति प्रेम प्रकट करते हुए पर्ची फेंकना उसका शील भंग करने के समान: बंबई उच्च न्यायालय

विवाहिता के प्रति प्रेम प्रकट करते हुए पर्ची फेंकना उसका शील भंग करने के समान: बंबई उच्च न्यायालय

नागपुर, 10 अगस्त बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने पाया है कि एक विवाहित महिला के प्रति प्यार का इजहार करने के लिए उस पर पर्ची फेंकना उसके शील भंग करने के समान है। अदालत ने आरोपी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और उसे यह राशि मुआवजे के रूप में पीड़ित महिला को देने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति रोहित देव ने 4 अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि एक विवाहित महिला के प्रति प्रेम व्यक्त करते हुए शायरी लिखी पर्ची फेंकने की हरकत ''उसका शील भंग करने के लिए पर्याप्त है।''

इससे पहले, अकोला सत्र अदालत ने आरोपी श्रीकृष्ण तवारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल) के तहत दोषी पाते हुए उसे दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 40,000 रुपये का जुर्माना लगाया जिसमें से 35 हजार रुपये पीड़िता को मुआवजे के तौर पर दिए जाने हैं।

पैंतालिस वर्षीय पीड़िता ने चार अक्टूबर, 2011 को अकोला के सिविल लाइंस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में महिला ने आरोप लगाया कि तीन अक्टूबर को जब वह बर्तन धो रही थी तो पड़ोस में एक किराने की दुकान का मालिक उसके पास आया और उसे एक पर्ची देने की कोशिश की।

महिला ने आरोप लगाया कि जब उसने पर्ची लेने से इनकार कर दिया तो आरोपी ने उसपर पर्ची फेंकी और ''मैं तुमसे प्रेम करता हूं'' कहकर चला गया। महिला ने कहा कि अगले दिन उस व्यक्ति ने उसे अश्लील इशारे किये और पर्ची में लिखी बात किसी को न बताने की चेतावनी दी।

महिला ने शिकायत में यह भी कहा कि आरोपी ने कई मौकों पर उसके साथ छेड़खानी की और उस पर छोटे-छोटे कंकड़ फेंके।

अकोला सत्र अदालत ने पर्ची पर लिखे वाक्यों और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 506 और 509 के तहत दोषी पाया। आरोपी ने सत्र अदालत के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख कर एक आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया कि पीड़िता ने झूठी शिकायत दर्ज कराई है।

न्यायमूर्ति देव ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि 45 वर्षीय विवाहित महिला के प्रति प्रेम का इजहार करती शायरी लिखी पर्ची फेंकना ''उसका शील भंग करने के लिए पर्याप्त है।''

न्यायमूर्ति देव ने आगे कहा कि उनके पास पीड़िता की इन बातों पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है कि आरोपी ने उसे आपत्तिजनक सामग्री वाली एक पर्ची दी थी।

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