चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के परिवार के तीन सदस्य आयकर विभाग की जांच के दायरे में हैं। न केवल उनकी पत्नी नोवेल सिंघल लवासा बल्कि उनकी बहन शकुंतला लवासा और अबीर लवासा भी इसमें शामिल हैं। नोवेल सिंघल लवासा पर कथित टैक्स चोरी के आरोप लगे हैं। कर विभाग ने नौरिश ऑर्गेनिक फूड्स लिमिटेड कंपनी के खातों की पुस्तकों का सर्वेक्षण किया है। इस कंपनी में अशोक लिवासा के बेटे अबीर लवासा निदेशक हैं और पिछले वित्त वर्ष में कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना के हिस्से के रूप में 10,000 शेयर रखे हैं।
इस संबंध में अबीर लवासा का कहना है कि आईटी विभाग द्वारा नौरिश ऑर्गेनिक को निर्देशित एक नोटिस जारी किया गया था। अगस्त के पहले सप्ताह में कंपनी की खातों का एक सर्वेक्षण किया गया था। तब से विभाग ने कुछ भी नहीं भेजा है।
इधर, आयकर विभाग ने लवासा की पत्नी को एक नोटिस जारी कर करीब 10 कंपनियों के निदेशक मंडल में रहने के सिलसिले में अपनी आयकर (आईटी) रिटर्न में दिये कुछ खास ब्योरे के बारे में बताने को कहा है। नोवेल लवासा ने देर रात बयान जारी कर कहा कि उन्होंने अपनी आय पर सभी करों का भुगतान किया है।
नोवेल ने कहा कि मेरे द्वारा दायर कर रिटर्न में विसंगतियों के संबंध में आयकर नोटिस (मुझे जारी किए गए) के बारे में मीडिया के कुछ वर्गों में खबरें आई हैं। यह बताया जाता है कि मैंने आयकर कानूनों के अनुसार सभी करों का भुगतान करने के अलावा पेंशन और अन्य स्रोतों से अर्जित पूरी आय का खुलासा किया है।
उन्होंने कहा कि मैंने पांच अगस्त 2019 के बाद आयकर विभाग की ओर से भेजे गए सभी नोटिसों का जवाब दिया है और विभाग की तरफ से की जा रही कार्रवाई में सहयोग भी कर रही हूं। अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद विभाग ने उनसे अपनी निजी वित्तीय मामलों के बारे में और अधिक ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा है।
उन्होंने बताया कि विभाग नोवेल सिंघल लवासा की आईटीआर को खंगाल रहा है ताकि यह पता चल सके कि क्या उनकी आय अतीत में आकलन से बच निकली थी या उन्होंने कर अधिकारियों से कुछ छिपाया गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व बैंकर के खिलाफ कथित कर चोरी की जांच और उनके कई कंपनियों के निदेशक मंडल में रहने की जांच 2015-17 की अवधि से जुड़ी हुई है।
केंद्रीय वित्त सचिव के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद अशोक लवासा को 23 जनवरी 2018 को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उल्लेखनीय है कि अप्रैल-मई में हुए आमचुनाव के दौरान चुनाव आचार संहिता के क्रियान्वयन पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा और चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के साथ उनके (अशोक लवासा के) मतभेद की खबरें मीडिया में आई थीं।
इसके अलावा चुनाव आयोग के तीन आयुक्तों में से एक अशोक लवासा ने पांच अवसरों पर लोकसभा के चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को आयोग द्वारा दी गई क्लीन चिट का विरोध किया था।(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)