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श्रमिकों को ‘अपमानित’ करने वालों को कोरोना के समय उनकी अहमियत पता चली: मोदी

By भाषा | Updated: January 1, 2021 14:21 IST

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नयी दिल्ली, एक जनवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि दूसरे राज्यों में काम करने वाले श्रमिक कोरोना संक्रमण काल में जब अपने-अपने गांवों की ओर लौट गए तो तब उन राज्यों को उनकी अहमियत का पता चला जो पहले कभी उन्हें ‘‘अपमानित’’ किया करते थे।

प्रधानमंत्री ने अपनी इस टिप्पणी के दौरान किसी राज्य विशेष का नाम नहीं लिया। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा देशभर में लागू किए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली और मुंबई सहित कई प्रमुख शहरों में औद्योगिक गतिविधियां ठप्प हो गई थीं और इस कारण प्रवासी श्रमिकों ने अपने गांवों की ओर पलायन शुरू कर दिया था।

उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से छह राज्‍यों के छह शहरों में वैश्‍विक आवासीय प्रौद्योगिकी चुनौती-भारत (जीएचटीसी-भारत) के तहत हल्के मकानों से जुड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद यह बात कही।

प्रवासी श्रमिकों और शहरी गरीबों को कम बजट पर आवास की सुविधा मुहैया कराने वाली ‘‘अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लेक्सेज योजना’’ को कोरोना संकट काल के दौरान उठाया गया ‘‘बड़ा कदम’’ बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका लक्ष्य एक राज्य से दूसरे राज्य में या फिर गांव से शहरों का रुख करने वाले श्रमिकों के लिए आवासीय सुविधा मुहैया कराना है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोरोना के पहले तो हमने देखा था कि कुछ जगह अन्य राज्य से आए लोगों के लिए ‘अनाप-शनाप’ बातें बोली जाती थी। उनको अपमानित किया जाता था। लेकिन कोरोना के समय सारे मजदूर अपने-अपने गांव लौट गए तो बाकियों को पता चला कि इनके बिना जिंदगी जीना कितना मुश्किल है। कारोबार चलाना कितना मुश्किल है। उद्योग धंधे चलाना कितना मुश्किल है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘हाथ-पैर जोड़कर’’ श्रमिकों को वापस बुलाया जाने लगा।

उन्होंने कहा, ‘‘श्रमिकों के सामर्थ्य और सम्मान को जो लोग स्वीकार नहीं करते थे, कोरोना ने उनको स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरों में श्रमिकों को उचित किराए पर मकान भी उपलब्ध नहीं मिलते थे और उन्हें छोटे-छोटे कमरों में रहना पड़ता था जहां पानी, बिजली और शौचालय से लेकर गंदगी जैसी तमाम समस्याएं हुआ करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्र की सेवा में लगे श्रमिक गरिमा के साथ जीवन जीएं, यह भी सभी देशवासियों का दायित्व है। इसी सोच के साथ सरकार उद्योगों के साथ और दूसरे निवेशकों के साथ मिलकर उचित किराए वाले घरों का निर्माण करने पर बल दे रही है। यह कोशिश भी है कि आवास उसी इलाके में हो जहां वह काम करते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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