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यह एक अंतरिम रिपोर्ट है, ऑक्सीजन की आवश्यकता हर दिन बदलती रहती है : गुलेरिया

By भाषा | Updated: June 26, 2021 17:04 IST

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नयी दिल्ली, 26 जून एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने दिल्ली की ऑक्सीजन आवश्यकता के विषय पर दी गयी रिपोर्ट को लेकर जारी विवाद के बीच शनिवार को कहा कि यह अंतरिम रिपोर्ट है और ऑक्सीजन की आवश्यकताएं हर दिन बदलती रहती हैं।

गुलेरिया के नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली की ऑक्सीजन आवश्यकता को चार गुना ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर’’ बताया गया। एम्स प्रमुख ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘यह एक अंतरिम रिपोर्ट है। ऑक्सीजन की आवश्यकता हर दिन बदलती रहती है। मामला अदालत के विचाराधीन है।’’

इस रिपोर्ट के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल सरकार पर ‘‘आपराधिक लापरवाही’’ बरतने का आरोप लगाया तो वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर ऐसी रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया।

शनिवार को केजरीवाल ने इस विवाद के बाद आगे बढ़ने का आग्रह करते हुए सभी लोगों से साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया ताकि कोविड-19 की अगली लहर में ऑक्सीजन की किल्लत ना हो।

केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘ऑक्सीजन पर आपका झगड़ा खत्म हो गया हो तो थोड़ा काम कर लें? आइए मिलकर ऐसी व्यवस्था बनाते हैं कि तीसरी लहर में किसी को ऑक्सीजन की कमी ना हो। दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सीजन की भीषण कमी हुई। अब तीसरी लहर में ऐसा ना हो। आपस में लड़ेंगे तो कोरोना जीत जाएगा। मिलकर लड़ेंगे तो देश जीतेगा।’’

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एक उप-समूह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की खपत ‘‘बढ़ा-चढ़ाकर’’ बतायी और 1140 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का दावा किया, जो 289 मीट्रिक टन की आवश्यकता से चार गुना अधिक थी। समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने ‘‘गलत फॉर्मूले’’ का इस्तेमाल करते हुए 30 अप्रैल को 700 मीट्रिक टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन के आवंटन के लिए दावा किया। दो सदस्यों दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (गृह) बी एस भल्ला और मैक्स हेल्थकेयर के क्लीनिकल डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने नतीजे पर सवाल उठाए।

भल्ला ने अपनी आपत्ति दर्ज करायी और 30 मई को उनसे साझा की गयी 23 पन्ने की अंतरिम रिपोर्ट पर टिप्पणी की। रिपोर्ट में 31 मई को भल्ला द्वारा भेजे गए पत्र का एक अनुलग्नक है, जिसमें उन्होंने कहा कि मसौदा अंतरिम रिपोर्ट को पढ़ने से यह ‘‘दुखद रूप से स्पष्ट’’ होता है कि उप-समूह कार्य पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाया और छह मई के उच्चतम न्यायालय के आदेश की शर्तों का पालन नहीं कर पाया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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