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भारत में कोझिकोड समेत इन पांच हवाई अड्डों पर है खतरनाक टेबलटॉप रनवे, कम जगह की वजह से विमान की लैंडिंग में होती है समस्या

By भाषा | Updated: August 8, 2020 19:39 IST

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में टेबलटॉप रनवे हैं और जब रनवे की लंबाई कम हो तो विमान की लैंडिंग में समस्या आती है।

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ठळक मुद्दे टेबलटॉप रनवे के पास वायु क्षेत्र के समीप पहुंच मार्ग की समस्या होती है। मेंगलोर हवाई अड्डे पर मई 2010 में हुई विमान दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी रिपोर्ट में बताया गया कि देश में तीन टेबलटॉप रनवे हैं।मेंगलोर, कोझिकोड और लेंगपुई ये ऐसे टेबल टॉप एयरपोर्ट हैं, जहां से नियमित विमान उड़ान भरते हैं।

नयी दिल्ली: हवाईअड्डों पर टेबलटॉप रनवे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में निर्मित होने के कारण तथा अंतिम समय में विमान को मोड़ने के लिए कम स्थान होने के कारण विमान उतारते समय पायलटों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होते हैं। एअर इंडिया एक्सप्रेस के विमानों की एक दशक से भी कम समय के अंतराल में करीब दो बार इस तरह के रनवे पर दुर्घटना हुई है।

कोझिकोड सहित देश के कम से कम पांच हवाई अड्डों पर टेबलटॉप रनवे हैं। इसी हवाई अड्डे पर शुक्रवार को एअर इंडिया एक्सप्रेस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। टेबलटॉप रनवे पहाड़ी या ऊंचाई वाले स्थानों पर बनाए जाते हैं। साथ ही इस तरह के रनवे के पास निचले क्षेत्र भी हो सकते हैं और इस तरह के रनवे के अंत में खाई हो सकती है।

भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अध्यक्ष अरविंद सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि एएआई द्वारा संचालित चार हवाई अड्डों पर टेबल टॉप रनवे हैं। ये हवाई अड्डे हैं - कोझिकोड, मेंगलोर (कर्नाटक), शिमला (हिमाचल प्रदेश) और पाकयोंग (सिक्किम)। मिजोरम के लेंगपुई हवाई अड्डे पर भी टेबल टॉप रनवे है जिसे राज्य सरकार संचालित करती है।

सरकारी एएआई 137 एयरोड्रम संचालित करती है जिसमें संयुक्त उपक्रम में सचांलित एयरोड्रम भी शामिल हैं। एअर इंडिया के एक वरिष्ठ पायलट ने कहा कि टेबलटॉप रनवे पर स्वचालन में मदद नहीं मिल सकती है। साथ ही दृश्यता भ्रम की भी स्थिति होती है जिसमें रनवे नजदीक दिख सकता है जबकि वास्तव में यह काफी दूर होता है।

पायलट ने कहा कि अन्य सामान्य रनवे की तरह वहां बफर जोन नहीं होता। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में टेबलटॉप रनवे हैं और जब रनवे की लंबाई कम हो तो विमान की लैंडिंग में समस्या आती है। कोझिकोड हवाई अड्डे पर रनवे करीब 9,000 फुट का है जो काफी लंबा है।

उन्होंने कहा कि उत्तर और दक्षिण भारत में कुछ हवाई अड्डों पर टेबलटॉप रनवे हैं। अधिकारी के मुताबिक पायलटों को इस तरह के रनवे और विभिन्न नियमों के बारे में सामान्य तौर पर जानकारी दी जाती है। मेंगलोर हवाई अड्डे पर मई 2010 में हुई विमान दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी रिपोर्ट में बताया गया कि देश में तीन टेबलटॉप रनवे हैं - मेंगलोर, कोझिकोड और लेंगपुई, जहां से नियमित विमान उड़ान भरते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है, ‘‘विषम भौगोलिक क्षेत्र होने के कारण इन वायु क्षेत्रों में विमान संचालन के लिए अतिरिक्त कौशल और सावधानी बरतने की जरूरत होती है।’’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि टेबलटॉप रनवे के पास वायु क्षेत्र के समीप पहुंच मार्ग की समस्या होती है, जिनका इस्तेमाल विमान दुर्घटना के समय करने की जरूरत हो सकती है। आईसीएओ के डेटा का हवाला देते हुए रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकतर दुर्घटनाएं विमान के उतरने या उड़ान भरने के समय होती हैं।  

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