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कोरोना संक्रमित है पति, बचने की उम्मीद भी कम पर पत्नी ने जताई मां बनने की इच्छा, आखिरकार कोर्ट ने दिया ये आदेश

By भाषा | Updated: July 21, 2021 13:06 IST

गुजरात से एक बेहद भावुक करने देने वाला मामला सामने आया है। यहां वडोदरा में एक शख्स कोरोना संक्रमित है और अस्पताल में भर्ती है। उसके बचने की उम्मीद भी कम है। ऐसे में पत्नी ने उसके बच्चे की मां बनने की इच्छा जताई है।

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ठळक मुद्देकोरोना संक्रमित पति के बच्चे की मां बनने के लिए कोर्ट पहुंची पत्नी, गुजरात का मामलामरीज की जान बचने की उम्मीद बेहद कम है और उसके शरीर के कई अंग काम करना बंद कर चुके हैं ऐसे में कोर्ट ने ‘आईवीएफ' प्रक्रिया के लिए उसके नमूने एकत्र करने का निर्देश दिया है

अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने वडोदरा के एक अस्पताल को कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित एक व्यक्ति के नमूने ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (एआरटी) प्रक्रिया के लिए एकत्र करने का निर्देश दिया है, क्योंकि मरीज की जान बचने की उम्मीद बेहद कम है और उसकी पत्नी उसके बच्चे की मां बनना चाहती है।

अदालत ने इसे एक ‘‘ असाधारण स्थिति’’ मानते हुए मंगलवार को मामले में आदेश सुनाया। मरीज की पत्नी की याचिका पर तत्काल सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति जे. शास्त्री ने वडोदरा के एक अस्पताल को ‘आईवीएफ/असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी’ (एआरटी) प्रक्रिया के लिए मरीज के नमूने एकत्र करने और चिकित्सकीय सलाह के अनुसार इसे उचित स्थान पर रखने का निर्देश दिया।

अदालत नहीं दे रहा था इजाजत इसलिए किया कोर्ट का रूख

मरीज की पत्नी के वकील निलय पटेल ने कहा कि याचिकाकर्ता आईवीएफ/एआरटी प्रक्रिया के जरिए उसके बच्चे की मां बनना चाहती हैं, लेकिन अस्पताल इसकी अनुमति नहीं दे रहा, इसलिए उसे अदालत का रुख करना पड़ा।

अदालत ने कहा, ‘‘एक असाधारण महत्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए अभी के लिए अंतरिम राहत दी जाती है और यह राहत याचिका की सुनवाई पूरी होने के बाद आने वाले फैसले के अधीन होगी।’’

अदालत ने राज्य सरकार और अस्पताल के निदेशक को नोटिस जारी कर 23 जुलाई तक मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने का भी कहा है।

पटेल ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित उसके पति के कई अंगों ने काम करना बंद दिया है और वह जीवन रक्षक प्रणाली पर है। चिकित्सकों के अनुसार, मरीज के जीवित बचने की बहुत कम उम्मीद है।

अदालत ने याचिकाकर्ता और संवाद के लिए मौजूद सहायक सरकारी वकील को अस्पताल को आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया कि मरीज की नाजुक हालत देखते हुए उसके नमूनों को एकत्रित किया जाए।

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