आपत्तिजनक सामग्री के पीड़ित से नए लिंक पर नजर रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: November 23, 2020 21:17 IST2020-11-23T21:17:44+5:302020-11-23T21:17:44+5:30

The victim of objectionable content cannot be expected to monitor the new link: High Court | आपत्तिजनक सामग्री के पीड़ित से नए लिंक पर नजर रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती: उच्च न्यायालय

आपत्तिजनक सामग्री के पीड़ित से नए लिंक पर नजर रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती: उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 23 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आपत्तिजनक ऑनलाइन सामग्री के पीड़ित व्यक्ति से नए लिंक पर नजर रखने और हर बार शिकायत करने की उम्मीद नहीं की जा सकती तथा इस समस्या का स्थायी समाधान किए जाने की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति नवीन चावला ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसने दावा किया है कि सोशल मीडिया पर उसकी मृत पत्नी की तस्वीर को हाथरस बलात्कार पीड़िता की तस्वीर बताकर वायरल किया गया।

व्यक्ति की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि हालांकि, उसके द्वारा पूर्व में इलेक्टॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भेजे गए लिंक हटा दिए गए हैं या अवरुद्ध कर दिए गए हैं, लेकिन हाल में उसे इस तरह के 80 और लिंक मिले।

वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल से लिंक पर हमेशा नजर रखने और हर बार मंत्रालय से शिकायत करने की उम्मीद नहीं की जा सकती तथा फेसबुक, गूगल और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मंचों को निगरानी रखनी चाहिए तथा उन्हें खुद ही इस तरह की सामग्री या लिंक को हटा देना चाहिए।

अदालत ने अभिवेदन का संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘किसी पीड़ित से लिंक तलाशने और शिकायत करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसका कोई और समाधान किए जाने की आवश्यकता है।’’

फेसबुक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि सोशल मीडिया मंच खुद ही निगरानी नहीं कर सकता और खुद ही इस तरह की सामग्री को नहीं हटा सकता।

उन्होंने कहा कि फेसबुक को संबंधित मंत्रालय, अदालतों या पुलिस जैसी एजेंसियों से इस तरह की सामग्री को हटाने या अवरुद्ध करने के लिए आदेश की आवश्यकता होती है।

रोहतगी ने हालांकि, अदालत की इस बात से सहमति जताई कि पीड़ित से आपत्तिजनक सामग्री पर नजर रखने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

अदालत ने इसके बाद, फेसबुक, गूगल और ट्विटर को उन लिंक को जल्द से जल्द हटाने या अवरुद्ध करने का निर्देश दिया जिनमें याचिकाकर्ता की पत्नी को हाथरस कांड की पीड़िता के रूप में दिखाया गया है।

इसने कहा कि यदि सोशल मीडिया मंचों को किसी लिंक को हटाने में कोई आपत्ति है तो इस बारे में शपथपत्र के जरिए सूचना दी जानी चाहिए।

हाथरस निवासी कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई थी।

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