जनप्रतिनिधियों के असंसदीय भाषा के इस्तेमाल से लोगों की भावना आहत होती है : कोविंद
By भाषा | Updated: November 25, 2020 20:06 IST2020-11-25T20:06:35+5:302020-11-25T20:06:35+5:30

जनप्रतिनिधियों के असंसदीय भाषा के इस्तेमाल से लोगों की भावना आहत होती है : कोविंद
केवडिया (गुजरात), 25 नवंबर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को संसद और विधानसभाओं में स्वस्थ संवाद करना चाहिए तथा सदन में चर्चा के दौरान असंसदीय भाषा के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
नर्मदा जिले के केवडिया गांव में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निकट टेंट सिटी में 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि जनप्रतिनिधियों द्वारा सदन में असंसदीय भाषा के इस्तेमाल और अनुशासनहीनता किए जाने से उनका चुनाव करने वाले लोगों की भावनाएं आहत होती हैं।
बीते आठ महीनों में यह पहला मौका था जब राष्ट्रपति ने व्यक्तिगत रूप से कहीं जाकर किसी कार्यक्रम को संबोधित किया है।
उन्होंने कहा, “निर्वाचित प्रतिनिधियों से यह उम्मीद की जाती है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध रहेंगे। निर्वाचित प्रतिनिधियों और लोकतांत्रिक संस्थानों के लिए लोगों की उम्मीदों को पूरा करना सबसे बड़ी चुनौती है।”
कोविंद ने कहा, “मेरा मानना है कि देश के लोग उम्मीद करते हैं कि उनके निर्वाचित प्रतिनिधि संसदीय मान्यताओं का पालन करें। जब उनके निर्वाचित प्रतिनिधि असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं या संसद अथवा विधानसभा में अनुशासनहीनता करते नजर आते हैं तो लोग आहत होते हैं।”
उन्होंने चर्चा के दौरान अनावश्यक कड़वाहट को दूर करने के लिए अध्यक्षों से सदन में स्वस्थ संवाद के अवसर उपलब्ध कराने को कहा।
राष्ट्रपति ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में सत्ताधारी दल के साथ ही विपक्ष की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए दोनों के बीच समझ,सहयोग और विचारों के अर्थपूर्ण आदान-प्रदान की जरूरत है।
कोविंद ने कहा, “लोकतांत्रिक प्रणाली का अंतिम लक्ष्य लोक कल्याण है जो देश के पिछड़े व वंचित वर्ग के उत्थान से सुनिश्चित किया जा सकता है। मुझे विश्वास है कि राष्ट्र की तीनों शाखाएं इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में साथ मिलकर काम करती रहेंगी।”
अपने संबोधन के समापन में कोविंद ने कांग्रेस नेता और गुजरात से राज्यसभा सदस्य अहमद पटेल को श्रद्धांजलि दी जिनका आज सुबह निधन हो गया।
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