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प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर मुन्नार और आसपास के इलाकों में हाथियों का आतंक

By भाषा | Updated: October 15, 2021 14:48 IST

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(लक्ष्मी गोपालकृष्णन)

इडुक्की (केरल),15अक्टूबर ‘दक्षिण का कश्मीर’ कहे जाने वाले केरल के मुन्नार में इन दिनों हाथियों का आतंक है और सड़क किनारे छोटी-छोटी दुकान लगाने वाले लोग हाथियों के हमलों में दुकानों के क्षतिग्रस्त होने से परेशान हैं।

इलाके में किराने की दुकान लगाने वाले पुनियावल की नींद तड़के कुत्तों के तेजी से भोंकने के कारण खुली है तो उन्हें हाथी आता दिखाई दिया। हाथी ने टिन की छत वाली इमारत में लगा लकड़ी का दरवाजा क्षतिग्रस्त कर दिया और फिर इमारत को भी तोड़ने की कोशिश की। इस दौरान पुनियावल का पूरा परिवार मकान के अंदर था और भयभीत हो कर सारा नजारा देख रहा था।

तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाला यह परिवार दुकान चला कर गुजर बसर करता है और यह14वीं बार है जब परिवार इस प्रकार के हमले में बाल-बाल बचा है।

इस प्रकार के भयावह अनुभव से गुजरने वाला पुनियावल अकेला नहीं है। फल और सब्जी की दुकान लगाने वाले ऑसेफ की दुकान पर भी वन्य जीवों ने अनेक बार हमला किया है। सैकडों की संख्या में लोग इसी प्रकार के अनुभवों से गुजर चुके हैं।

स्थानीय लोगों के लिए मुन्नार दूर तक फैले चाय बागान, खूबसूरत पहाड़,और घास के मैदान भर नहीं है,बल्कि हाथियों की दहशत,जान का खतरा और कर्ज का जाल भी है।

पुनियावल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘ हथनी जंगली हाथियों के झुंड में शामिल थी और यह दल इलाके में पिछले सप्ताह ही आया था। जब हथनी मेरी दुकान क्षतिग्रस्त कर रही थी,उसके दल के शेष जन्तु इमारत के बाहर खड़े थे।’’

यह परिवार मुन्नार से करीब ढेड़ किलोमीटर दूर ‘चोकनाड एस्टेट’में किराने की दुकान चलाता है।

दुकान के सीसीसटीवी कैमरे में दिखाई दे रहा है कि हथनी ने दुकान से गत्ते के डिब्बे निकाल कर फेंके और फिर उन्हें पैरों से कुचल दिया। पुनियावल कहते हैं कि हर बार हाथी का हमला उन्हें कर्ज के जाल में फंसा देता है। उन्होंने कहा कि अनेक आवेदन के बाद भी वन विभाग ने उन्हें मुआवजा नहीं दिया है।

यह कहानी पुनियावल की अकेले नहीं हैं। शहर से दो किलोमीटर दूर ग्राहम्सलैंड एस्टेट में रहने वाले पालराजा (62) की फलों की दुकान पिछले वर्ष हाथियों के हमले में क्षतिग्रस्त हो गई थी। उन्होंने दोबारा दुकान बनवाई।

मुन्नार में रहने वाले स्थानीय पत्रकार शिबू ने कहा कि हाल के दिनों में पर्यटक शहर में मानव बस्तियों में जंगली हाथियों के घुसने के मामलों में कोविड-19 भी एक कारण है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘लॉकडाउन लगाने के बाद लोगों की आवाजाही कम हो गई और शायद यही वजह है कि हाथी मानव बस्तियों में आसानी से आने जाने लगे।’’

प्रमुख वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ पी एस ईसा ने भी जंगली हाथियों से जुड़ी घटनाओं में वृद्धि के लिए अनेक कारणों में से लॉकडाउन को भी एक वजह मानते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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