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किशोर अपराधियों की आयु निर्धारण की प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: November 6, 2021 22:01 IST

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नयी दिल्ली, छह नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर की उम्र निर्धारण की प्रक्रिया किसी मामले के जांच अधिकारी द्वारा दस्तावेज दाखिल करने के 15 दिनों के भीतर पूरी कर ली जानी चाहिए।

उच्च न्यायालय ने कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि किशोर के संबंध में अस्थि (ओजिफिकेशन) जांच पूरी हो गयी है, एक रिपोर्ट प्राप्त की गई है और किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के समक्ष जांच के आदेश की तारीख से 15 दिनों के भीतर दायर की गई है।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने कहा, ‘‘कानून का उल्लंघन करने वाले किशोरों से संबंधित सभी मामलों में, कथित अपराधों की प्रकृति की परवाह किए बिना, जेजेबी यह सुनिश्चित करेगा कि किशोर की आयु-निर्धारण की प्रक्रिया उम्र के प्रमाण से संबंधित दस्तावेज दाखिल करने से 15 दिनों के भीतर पूरी हो जाए।’’

उच्च न्यायालय ने किशोरों से संबंधित पूछताछ की प्रक्रिया को और सुव्यवस्थित करने के लिए विभिन्न निर्देश जारी किए और यह स्पष्ट किया कि सभी संबंधित अधिकारियों द्वारा उनका ईमानदारी से पालन किया जाना चाहिए।

पीठ किशोर न्याय अधिनियम के कुछ प्रावधानों की व्याख्या और प्रभावी कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार कर रही थी।

उच्च न्यायालय ने राज्य को उन मामलों की संख्या से अवगत कराने के लिए चार सप्ताह का समय दिया, जहां छह महीने से एक वर्ष के बीच की अवधि के लिए किशोरों के खिलाफ यहां प्रत्येक जेजेबी में जांच लंबित है। अदालत ने कहा कि सूचना में प्रत्येक बच्चे या किशोर के लिए पुनर्वास योजना / व्यक्तिगत देखभाल योजना शामिल होगी।

अदालत ने राज्य को इस उद्देश्य के लिए प्रस्तावित समय सीमा सहित शहर में जेजेबी की संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव की स्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया।

पीठ ने मामले को 14 दिसंबर को और विचार के लिए सूचीबद्ध किया।

मामले में न्याय मित्र के रूप में नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने कहा कि हालांकि जेजे अधिनियम के तहत स्थापित किशोर न्याय कोष में एक बड़ा कोष उपलब्ध है, ऐसा प्रतीत होता है कि पिछले कई वर्षों में इच्छित उद्देश्य के लिए कोई महत्वपूर्ण राशि वितरित नहीं की गई है।

उन्होंने दिल्ली जैसे बड़े क्षेत्र के लिए 11 जेजेबी स्थापित करने का प्रस्ताव था, जिसमें वर्तमान में केवल छह जेजेबी हैं, हालांकि इसमें 11 न्यायिक जिले हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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