सबरीमाला मंदिर के पुरोहित ने कहा-सरकार के साथ बातचीत का कोई मतलब नहीं, प्रदर्शन जारी

By भाषा | Updated: October 7, 2018 16:27 IST2018-10-07T16:27:21+5:302018-10-07T16:27:21+5:30

उच्चतम न्यायालय के फैसले पर मंदिर के मुख्य पुरोहितों ‘थाझामोन तंत्रियों’ के साथ बातचीत की केरल सरकार की पहल को रविवार को उस वक्त झटका लगा जब उनमें से एक पुरोहित ने कहा कि बातचीत का कोई मतलब नहीं है।

The priest of the Sabarimala temple said- There is no point in talks with the government | सबरीमाला मंदिर के पुरोहित ने कहा-सरकार के साथ बातचीत का कोई मतलब नहीं, प्रदर्शन जारी

फाइल फोटो

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले पर मंदिर के मुख्य पुरोहितों ‘थाझामोन तंत्रियों’ के साथ बातचीत की केरल सरकार की पहल को रविवार को उस वक्त झटका लगा जब उनमें से एक पुरोहित ने कहा कि बातचीत का कोई मतलब नहीं है।

पंडालम रॉयल्स ने कहा कि चर्चा का कोई मतलब नहीं है क्योंकि माकपा नीत एलडीएफ सरकार ने शीर्ष अदालत के फैसले को लागू कराने के लिये पहले ही फैसला कर लिया है। पूर्ववर्ती राज परिवार भगवान अयप्पा के मंदिर से जुड़ा रहा है।

इस बीच, पहाड़ी मंदिर की वर्षों पुरानी परंपरा, धार्मिक अनुष्ठान और आस्था को बरकरार रखने की मांग को लेकर राज्य के कई हिस्सों में भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं का प्रदर्शन जारी है। ऐसी खबरें हैं कि सरकार ने तंत्री परिवार और पंडालम रॉयल्स के सदस्यों को सोमवार को मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन से यहां बातचीत के लिये बुलाया है।

तीन तंत्रियों में से एक कंडारारू मोहनारू और शशि कुमार वर्मा ने कहा कि फिलहाल सरकार के साथ बातचीत का कोई फायदा नहीं है क्योंकि वे शीर्ष अदालत के आदेश की समीक्षा के लिये न्यायालय जाने को तैयार नहीं हैं।

गत 28 सितंबर को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 10-50 साल के उम्र की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। मोहनारू ने चेंगान्नूर में कहा, ‘‘हम समीक्षा याचिका दायर करेंगे। समीक्षा याचिका का नतीजा आने दें--हम पंडालम शाही परिवार का भी इस बारे में रुख जानने के बाद अधिकारियों के साथ बातचीत कर सकते हैं।’’ 

तंत्री ने मंदिर परिसर ‘सन्निधानम’ में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती के सरकार के कदम पर भी आपत्ति जताई और कहा कि यह पहाड़ी मंदिर की धार्मिक रीति-रिवाज और परंपराओं का उल्लंघन है। इस तरह की भावना जाहिर करते हुए शशिकुमार वर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर शाही परिवार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला गलत है। यह भगवान अयप्पा मंदिर के रीति-रिवाजों और परंपराओं का उल्लंघन है। सरकार फैसले की समीक्षा के लिये न्यायालय का दरवाजा खटखटाए बिना मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे रही है। इसलिये अभी उनसे चर्चा का कोई मतलब नहीं है। 

माकपा नीत एलडीएफ सरकार ने समूचे राज्य में अयप्पा श्रद्धालुओं के प्रदर्शन को देखते हुए बातचीत के दरवाजे खोले थे। अयप्पा श्रद्धालु फैसले की समीक्षा के लिये कोशिश किये बिना अदालत के आदेश को लागू करने के सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने भी एलडीएफ सरकार के रुख का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि वे श्रद्धालुओं के साथ हैं। 

Web Title: The priest of the Sabarimala temple said- There is no point in talks with the government

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