खुले में नमाज पढ़ने की प्रथा को ‘‘बर्दाश्त नहीं’’ किया जाएगा: खट्टर

By भाषा | Updated: December 10, 2021 21:37 IST2021-12-10T21:37:34+5:302021-12-10T21:37:34+5:30

The practice of offering Namaz in the open will not be tolerated: Khattar | खुले में नमाज पढ़ने की प्रथा को ‘‘बर्दाश्त नहीं’’ किया जाएगा: खट्टर

खुले में नमाज पढ़ने की प्रथा को ‘‘बर्दाश्त नहीं’’ किया जाएगा: खट्टर

चंडीगढ़, 10 दिसंबर गुरुग्राम में खुले स्थानों पर जुमे की नमाज अदा करने पर कई हिंदू संगठनों द्वारा आपत्ति जताए जाने के बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि खुले में नमाज पढ़ने की प्रथा को ‘‘बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’

खट्टर ने यह भी कहा कि जिला प्रशासन के खुले स्थानों पर नमाज के लिए कुछ स्थानों को आरक्षित करने का पूर्व निर्णय वापस ले लिया गया है और राज्य सरकार अब इस मुद्दे का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेगी।

मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम में खुले स्थानों पर नमाज अदा करने पर कई दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को लेकर एक सवाल के जवाब में गुरुग्राम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘यहां (गुरुग्राम) खुले में नमाज पढ़ने की प्रथा बर्दाश्त नहीं की जाएगी...लेकिन हम सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे।’’

खट्टर ने कहा, ‘‘सभी को (प्रार्थना करने के लिए) सुविधा मिलनी चाहिए लेकिन किसी को भी दूसरों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। इसकी अनुमति नहीं दी जाएगी।’’

खुले स्थानों पर नमाज के लिए कुछ स्थान निर्धारित करने के जिला प्रशासन के फैसले को वापस लेने पर उन्होंने कहा, "हमने पुलिस और उपायुक्त से कहा है कि इस मुद्दे को सुलझाया जाए...अगर कोई नमाज अदा करता है, किसी के स्थान पर पाठ करता है तो हम उस पर कोई आपत्ति नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘धार्मिक स्थल इसी मकसद से बनाए जाते हैं कि लोग वहां जाएं और पूजा-अर्चना करें। इस तरह के कार्यक्रम खुले में नहीं होने चाहिए।’’ खट्टर ने कहा, ‘‘खुली जगहों पर नमाज पढ़कर टकराव से बचना चाहिए। हम (दो पक्षों के बीच) टकराव की भी इजाजत नहीं देंगे।'’

पिछले कुछ महीनों में, कुछ हिंदू संगठनों के सदस्य उन जगहों पर इकट्ठा हो जाते हैं जहां मुस्लिम समुदाय के लोग खुले स्थान पर ‘नमाज' अदा करते हैं और ‘‘भारत माता की जय’’ और ‘‘जय श्री राम’’ के नारे लगाते हैं।

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Web Title: The practice of offering Namaz in the open will not be tolerated: Khattar

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