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कोरोना से ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की रफ्तार धीमी हुई लेकिन संकल्प बरकरार : मोदी

By भाषा | Updated: June 4, 2021 18:13 IST

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नयी दिल्ली, चार जून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान की रफ्तार कुछ धीमी जरूर हुई है लेकिन इस अभियान के जरिए देश को सशक्त बनाना आज भी उनकी सरकार का संकल्प है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) सोसाइटी की एक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह भी कहा ‘‘सॉफ्टवेयर से लेकर सैटेलाइट’’ तक आज भारत दूसरे देशों के विकास को गति दे रहा है और दुनिया के विकास में ‘‘प्रमुख इंजन’’ की भूमिका निभा रहा है।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के अलावा अन्य मंत्री और वैज्ञानिक शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी पूरी दुनिया के सामने इस सदी की सबसे बड़ी चुनौती बनकर आई है लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी मानवता पर कोई बड़ा संकट आया है, विज्ञान ने और बेहतर भविष्य के रास्ते तैयार कर दिए हैं।

साल भर के भीतर कोरोना रोधी टीका विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अप्रत्याशित है और इतनी बड़ी आपदा से देश की जनता को उबारने के लिए एक साल में टीका बना देने का काम का इतिहास में शायद पहली बार हुआ होगा।

उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को कोविड-19 के टीके, जांच किट, आवश्यक उपकरण और नई कारगर दवाओं के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की और कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को विकसित देशों के बराबर लाना उद्योग और बाजार के लिए बेहतर रहेगा।

उन्होंने कहा कि पहले दूसरे देशों में खोज हुआ करती थी तो भारत को कई कई सालों तक उसके लाभ का इंतजार करना पड़ता था लेकिन आज भारत के वैज्ञानिक दूसरे देशों के वैज्ञानिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर मानव जाति की सेवा में जुटे हुए हैं और उतनी ही तेज गति से काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इस असाधारण प्रतिभा से ही देश आज इतनी बड़ी लड़ाई लड़ रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भारत, कृषि से अंतरिक्ष विज्ञान, आपदा प्रबंधन से रक्षा प्रौद्योगिकी तक, टीकों से आभासी यथार्थ(वचुर्अल रियलिटी) तक और जैव प्रौद्योगिकी से लेकर बैटरी प्रौद्योगिकी तक हर दिशा में आत्मनिर्भर और सशक्त बनना चाहता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत सतत विकास और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। आज हम सॉफ्टवेयर से लेकर उपग्रहों तक दूसरे देशों के विकास को भी गति दे रहे हैं और दुनिया के विकास में प्रमुख इंजन की भूमिका निभा रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारत के लक्ष्य इस दशक के साथ-साथ अगले दशक की जरूरतों के अनुरूप होने चाहिए।

मोदी ने कोरोना को सदी की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि मानवता पर जब भी कोई बड़ा संकट आता है, तो विज्ञान ने और बेहतर भविष्य के रास्ते तैयार कर दिए हैं।

उन्होंने कहा कि विज्ञान की मूल प्रकृति संकट के समय समाधानों और संभावनाओं की तलाश कर नई ताकत पैदा करना है।

उन्होंने कहा कि किसी भी देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी उतनी ही ऊंचाइयों को छूती है, जितना बेहतर उसका उद्योग जगत और बाजार से संबंध होता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में सीएसआईआर विज्ञान, समाज और उद्योग जगत की इसी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था का काम करता है।’’

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर जलवायु परिवर्तन का भी उल्लेख किया और कहा कि दुनिया भर के विशेषज्ञ इसे लेकर लगातार बड़ी आशंका जता रहे हैं।

उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और संस्थानों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ इस चुनौती से निपटने की तैयारी करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने 2016 में शुरू किए गए अरोमा मिशन में सीएसआईआर की भूमिका की प्रशंसा की और कहा कि आज देश के हजारों किसान फूलों की खेती के जरिए अपनी किस्मत बदल रहे हैं।

उन्होंने देश के भीतर हींग की खेती में मदद करने के लिए सीएसआईआर की सराहना की, जिसके लिए भारत आयात पर निर्भर था।

प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर से एक रोडमैप के साथ एक निश्चित तरीके से आगे बढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने देश में उपलब्ध अवसरों का अधिकतम उपयोग करने का आह्वान किया और कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों और स्टार्टअप के लिए कृषि से लेकर शिक्षा समेत हर क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।

उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और उद्योग जगत से कोविड संकट के दौरान हासिल की गई सफलता को हर क्षेत्र में दोहराने का आग्रह किया।

सीएसआईआर सोसाइटी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग का हिस्सा है।

इसकी गतिविधियां देश भर की 37 प्रयोगशालाओं और 39 आउटरीच केंद्रों तक फैली हैं। सोसाइटी के सदस्यों में नामचीन वैज्ञानिक, उद्योगपति और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इनकी बैठक सालाना होती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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