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माओवादियों ने कहा कि उनके कब्जे में है लापता जवान, मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की

By भाषा | Updated: April 7, 2021 10:25 IST

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्हें नक्सलियों द्वारा बयान जारी करने की जानकारी मिली है और बयान की हकीकत के संबंध में जांच की जा रही है।

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ठळक मुद्देपुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ के बाद से 10 हथियार जिसमें सात एके 47 राइफल, दो एसएलआर और एक लाइट मशीन गन शामिल है, के बारे में जानकारी नहीं है।पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ के बाद से 10 हथियार जिसमें सात एके 47 राइफल, दो एसएलआर और एक लाइट मशीन गन शामिल है, के बारे में जानकारी नहीं है।

बीजापुरछत्तीसगढ़ में माओवादियों ने कहा है कि शनिवार को सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद से लापता सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन का एक जवान उनके कब्जे में है और उन्होंने जवान की रिहाई के लिए सरकार से मध्यस्थ नियुक्त करने की मांग की है।

माओवादियों ने स्वीकार किया है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी भी मारे गए हैं। छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के जोनागुड़ा गांव के करीब सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद से सीआरपीएफ की 210 कोबरा बटालियन का जवान राकेश्वर सिंह मनहास लापता है।

पुलिस जवान की तलाश कर रही है। माओवादियों ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि तीन अप्रैल को सुरक्षा बल के दो हजार जवान हमला करने जीरागुडेम गांव के पास पहुंचे थे, इसे रोकने के लिए पीएलजीए ने हमला किया है। इस कार्रवाई में 24 जवान मारे गए तथा 31 घायल हो गए। माओवादियों ने बयान में कहा है कि एक जवान को बंदी बनाया गया है जबकि अन्य जवान वहां से भाग गए।

उन्होंने कहा है कि सरकार पहले मध्यस्थों के नाम की घोषणा करे इसके बाद बंदी जवान को सौंप दिया जाएगा, तब तक वह जनताना सरकार की सुरक्षा में रहेगा। माओवादियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के नाम से जारी दो पृष्ठ के बयान में माओवादियों ने स्वीकार किया है कि इस मुठभेड़ में उनके चार साथी ओड़ी सन्नी, पदाम लखमा, कोवासी बदरू और नूपा सुरेश मारे गए हैं।

उन्होंने कहा है कि वह महिला नक्सली सन्नी के शव को नहीं ले जा सके। माओवादियों ने बयान में कहा है कि मुठभेड़ के दौरान उन्होंने 14 हथियार, दो हजार से अधिक कारतूस और कुछ अन्य सामान जब्त किया है। बयान के साथ उन्होंने एक फोटो भी जारी की है जिसे लूटे गए हथियारों की फोटो बताया गया है। दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी बस्तर क्षेत्र में कार्य करती है। माओवादियों ने इस कमेटी के अंतर्गत क्षेत्र में झीरम घाटी नक्सली हमले समेत बड़ी नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया है।

झीरम घाटी हमले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मृत्यु हो गई थी। वहीं पुलिस ने कहा कि माओवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सुरक्षा बलों के जवानों ने कम से कम 12 माओवादियों को मार गिराया। पुलिस ने इस दौरान एक महिला नक्सली का शव बरामद होने की जानकारी दी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ के बाद से 10 हथियार जिसमें सात एके 47 राइफल, दो एसएलआर और एक लाइट मशीन गन शामिल है, के बारे में जानकारी नहीं है।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि उन्हें नक्सलियों द्वारा बयान जारी करने की जानकारी मिली है और बयान की हकीकत के संबंध में जांच की जा रही है। बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुदंरराज पी ने कहा है कि तीन अप्रैल को सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र के जंगल में हुई मुठभेड़ के बाद से अब तक कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मनहास के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। सुदंरराज ने बताया कि लापता जवान की खोज में अभियान चलाया जा रहा है।

साथ ही क्षेत्र के ग्रामीण, सामाजिक संगठन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा पत्रकारों के माध्यम से भी आरक्षी राकेश्वर सिंह के संबंध में जानकारी ली जा रही है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि माओवादियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता की मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में लापता एक जवान को बंदी बनाकर रखने की जानकारी दी गई है। पुलिस उस प्रेस विज्ञप्ति की वास्तविकता के संबंध में जांच कर रही है।

वहीं बस्तर क्षेत्र में आदिवासियों के लिए काम करने वाली समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने नक्सलियों से अपील की है कि वह जवान राकेश्वर सिंह को रिहा कर दें। सोरी ने कहा है कि अगर नक्सली जवान को रिहा करने में देरी करते हैं तब वह बुधवार को मुठभेड़ स्थल की ओर जाएंगी तथा माओवादियों से बात करने की कोशिश करेंगी, जिससे जवान को रिहा कराया जा सके। राज्य के सुकमा और बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सल विरोधी अभियान में शुक्रवार को सुरक्षा बलों को रवाना किया गया था।

इस अभियान में जवान राकेश्वर सिंह भी शामिल थे। शनिवार को टेकलगुड़ा और जोनागुड़ा गांव के करीब सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के 22 जवानों की मृत्यु हो गई तथा 31 अन्य जवान शहीद हो गए। वहीं आरक्षक राकेश्वर सिंह लापता हो गए। शहीद जवानों में सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के सात जवान, सीआरपीएफ के बस्तरिया बटालियन का एक जवान, डीआरजी के आठ जवान और एसटीएफ के छह जवान शामिल हैं।

राज्य में इस बड़े नक्सली हमले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को छत्तीसगढ़ का दौरा किया था। इस दौरान शाह ने बस्तर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी तथा जवानों से मुलाकात की। उन्होंने रायपुर के अस्पतालों में भर्ती घायल जवानों से भी मुलाकात की थी। 

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