जल की उपलब्धता का आकलन करने के लिए सरकार हिमालय के ग्लेशियरों की गहराई मापने की योजना बना रही

By भाषा | Updated: December 20, 2020 20:32 IST2020-12-20T20:32:45+5:302020-12-20T20:32:45+5:30

The government is planning to measure the depth of Himalayan glaciers to assess the availability of water. | जल की उपलब्धता का आकलन करने के लिए सरकार हिमालय के ग्लेशियरों की गहराई मापने की योजना बना रही

जल की उपलब्धता का आकलन करने के लिए सरकार हिमालय के ग्लेशियरों की गहराई मापने की योजना बना रही

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर हिमालय पर्वतमाला पर भी ‘ग्लोबल वार्मिंग’ का असर पड़ने के मद्देनजर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय क्षेत्र में ग्लेशियरों की गहराई मापने की योजना बना रहा है, ताकि वहां उपलब्ध जल की मात्रा का आकलन किया जा सके।

अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

मंत्रालय में सचिव एम राजीवन ने बताया कि इस सिलसिले में परियोजना अगले साल गर्मियों के मौसम में शुरू होगी।

मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के निदेशक एम रविचंद्रन ने कहा कि देश के सुदूर एवं अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित अनुसंधान केंद्र ‘हिमांश’ भी हिमालय जलवायु का अध्ययन कर रहा है।

एनसीपीओआर, इस परियोजना का क्रियान्वयन करेगा। इसकी स्थापना 2016 में हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले, चंद्रा नदी बेसिन में सात ग्लेशियरों का अध्ययन करने की योजना है।’’

चंद्रा नदी, चिनाब नदी की एक बड़ी सहायक नदी है, जबकि चिनाब, सिंधु (नदी) की सहायक नदी है।

हिमालय के ग्लेशियर वहां (हिमालय) से निकलने वाली नदियों के जल के विशाल स्रोत हैं। हिमालय से निकलने वाली नदियां सदानीरा हैं, जो भारत के उत्तरी हिस्से के मैदानी भाग में कई करोड़ लोगों के लिए एक जीवनदायिनी हैं।

रविचंद्रन ने कहा, ‘‘ग्लेशियरों की गहराई मापने का उद्देश्य उसके घनत्व का पता लगाना है। इससे हमें जल की उपलब्धता समझने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह भी समझने में मदद मिलेगी कि ग्लेशियर बढ़ रहे हैं या सिकुड़ रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि रडार प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाएगा जिसमें सूक्ष्म तरंग सिग्नल का इस्तेमाल होता है। यह बर्फ की मोटी परत को भेदते हुए उसके पार जा सकती है और चट्टानों तक पहुंच सकती है, जहां की तस्वीरें उपग्रह भी नहीं ले सकते हैं। बाद में, सिग्नल के चट्टानों पर परावर्तित होने के बाद गहराई समझने में मदद मिलेगी।

रविचंद्रन ने कहा, ‘‘अमेरिका और ब्रिटेन के पास यह प्रौद्योगिकी है। हम इस प्रौद्योगिकी की मदद ले रहे हैं।

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Web Title: The government is planning to measure the depth of Himalayan glaciers to assess the availability of water.

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