सरकार ने किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया, सुविधानुसार तिथि तय करने को कहा

By भाषा | Updated: December 21, 2020 00:09 IST2020-12-21T00:09:51+5:302020-12-21T00:09:51+5:30

The government invited farmers' organizations for talks, asked to set the date as per convenience | सरकार ने किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया, सुविधानुसार तिथि तय करने को कहा

सरकार ने किसान संगठनों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया, सुविधानुसार तिथि तय करने को कहा

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को रविवार को वार्ता के लिए आमंत्रित किया और इसके लिए सुविधानुसार तिथि तय करने का आग्रह किया।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के संगठनों को एक पत्र लिखा है।

उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि पूर्व आमंत्रित आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधि शेष आशंकाओं के संबंध में विवरण उपलब्ध कराने का कष्ट करें तथा पुन: वार्ता हेतु सुविधानुसार तिथि से अवगत कराने का कष्ट करें।’’

अग्रवाल ने आंदोलन शीघ्र समाप्त हो, इसके लिए पत्र के जरिए अगली वार्ता राजधानी स्थित विज्ञान भवन में करने की पेशकश की है।

उन्होंने कहा कि देश के किसानों के ‘‘सम्मान’’ में एवं ‘‘पूरे खुले मन’’ से केंद्र सरकार पूरी संवेदना के साथ सभी मुद्दों के समुचित समाधान के लिए प्रयासरत है।

अग्रवाल ने कहा कि इसलिए सरकार द्वारा आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की वार्ता की गई।

उन्होंने बताया कि सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर देश के अन्य संगठनों के सुझावों के संबंध में भी वार्ता के द्वार खुले रखे एवं वार्ता के जरिए उनके भी सुझाव सुने।

अग्रवाल ने पत्र में में कहा है, ‘‘सरकार की ओर से लगातार आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से अलग-अलग वार्ता का प्रयास भी किया जाता रहा है।’’

यह पत्र ऐसे दिन लिखा गया है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एक या दो दिन में प्रदर्शनकारी समूहों से उनकी मांगों पर बातचीत कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि किसानों से वार्ता के लिए केंद्र सरकार ने तोमर की अध्यक्षता में मंत्रिस्तरीय एक समिति गठित की थी। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश इसके सदस्य हैं।

करीब 40 किसान संगठनों से सरकार की अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है जो विफल रही है। किसानों के संगठनों की एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बैठक हो चुकी है, लेकिन उसका नतीजा भी शून्य रहा है।

किसानों और केंद्र सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत के बाद नौ दिसंबर को वार्ता स्थगित हो गई थी क्योंकि किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था।

गौरतलब है दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में बीते करीब चार हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं।

केन्द्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

नए कृषि कानूनों के विरोध में अपने आंदोलन को तेज करते हुए किसान यूनियनों ने रविवार को घोषणा की कि वे यहां सभी प्रदर्शन स्थलों पर सोमवार को एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे तथा 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे।

पंजाब और हरियाणा के किसानों ने आज श्रद्धांजलि दिवस भी मनाया और उन किसानों को श्रद्धांजलि दी जिनकी मौत जारी आंदोलन के दौरान हुई है।

किसान संगठनों ने दावा किया है कि आंदोलन में शामिल 30 से अधिक किसानों की दिल का दौरा पड़ने और सड़क दुर्घटना जैसे विभिन्न कारणों से मौत हुई है। किसानों ने कुछ स्थानों पर ‘अरदास’ भी की।

तोमर ने बृहस्पतिवार को किसानों के नाम आठ पृष्ठों का एक खुला पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि नए कृषि कानूनों के बारे में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल झूठ फैला रहे हैं।

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Web Title: The government invited farmers' organizations for talks, asked to set the date as per convenience

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