कारगिल युद्ध में शामिल होने को आतुर थे आईएमए के 1999 बैच के भावी सैनिक: पूर्व सैन्य अधिकारी

By भाषा | Updated: July 26, 2021 21:11 IST2021-07-26T21:11:13+5:302021-07-26T21:11:13+5:30

The future soldiers of the 1999 batch of IMA were eager to join the Kargil war: Ex-Army officer | कारगिल युद्ध में शामिल होने को आतुर थे आईएमए के 1999 बैच के भावी सैनिक: पूर्व सैन्य अधिकारी

कारगिल युद्ध में शामिल होने को आतुर थे आईएमए के 1999 बैच के भावी सैनिक: पूर्व सैन्य अधिकारी

(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस की 22वीं वर्षगांठ के मौके पर सेना के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि किस तरह 1999 में हुए इस युद्ध के दौरान भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में पढ़ाई कर रहे भावी सैनिक जंग में हिस्सा लेने को लेकर उत्सुक थे।

उन्नीस सौ निन्यानवे बैच के एक पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर (सेवानिवृत्त) माणिक एम जॉली (43) ने याद किया देशभक्ति के उत्साह से प्रभावित और संघर्ष की खबरों से प्रेरित होकर, 'अंतिम पग' (अंतिम चरण) की दहलीज पर पहुंचे ''उत्साही कैडेट का एक समूह'' आधिकारिक रूप से अपना प्रशिक्षण पूरा किये बिना ही कारगिल युद्ध में शामिल होने को आतुर था।

सेना पदक से सम्मानित जॉली देहरादून में स्थित आईएमए के ऐतिहासिक परिसर में 1999 की गर्मी के दिनों को याद करते हुए कहते हैं, ''जोश देखते ही बनता था।''

जॉली काफी जल्दी सेना से सेवानिवृत हो गए थे।

उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''हम अपने मेस में अखबारों में कारगिल युद्ध के बारे में पढ़ रहे थे, और टीवी पर आ रहीं खबरें देख रहे थे। हालांकि, उस समय कुछेक भारतीय चैनल थे। वीरता और सर्वोच्च बलिदान की कहानियां हमें उत्साह और देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर देती थीं।''

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) से 1998 में आईएमए में आए जॉली ने कहा कि 22 साल हो गए हैं, लेकिन उस अविस्मरणीय समय की यादें अभी भी काफी ताजा हैं।

उन्होंने कहा, '' मीडियाकर्मियों का एक दल आईएमए परिसर में आया था और कुछ भावी सैनिकों का साक्षात्कार लिया गया था। उत्साही भावी सैनिकों का एक समूह आधिकारिक तौर पर प्रशिक्षण समाप्त करने से पहले ही कारगिल युद्ध में शामिल होने के लिए उत्सुक था। मैं भी कारगिल भेजे जाने का इच्छुक था।''

जॉली ने कहा कि कोई यह नहीं चुन सकता कि प्रशिक्षण समाप्त होने के बाद किसी को कहां तैनात किया जाएगा, लेकिन ''कारगिल युद्ध का हिस्सा बनने की हमारी बहुत इच्छा थी।

भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच 1999 में कारगिल के पहाड़ों पर जंग हुई थी और बाद में भारत ने कारगिल की पहाड़ियां फिर से अपने कब्जे में ले ली थीं। इस लड़ाई की शुरुआत तब हुई थी, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके वहां अपने ठिकाने बना लिए थे।

जॉली ने कहा, ''हम सभी प्रतिष्ठित चेतवोड बिल्डिंग के सामने अपनी पासिंग आउट परेड की तैयारी कर रहे थे, लेकिन कारगिल युद्ध के विचार हमारे मन मस्तिष्क में समाए हुए थे। हम जल्द से जल्द वहां जाना चाहते थे।''

जॉली ने कहा कि कुछ कैडेट कभी-कभी हल्के-फुल्के अंदाज में कहते, ''कहीं हमें मौका मिलने से पहले, युद्धविराम ना हो जाए।''

चौबीस जून 1999 को, मिराज लड़ाकू विमानों ने लेजर-निर्देशित सटीक बमों का उपयोग करके टाइगर हिल पर बमबारी कर उसको वापस अपने कब्जे में ले लिया था।

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