गोवा की राजनीति में तृणमूल और दो क्षेत्रीय दलों के पदार्पण से चुनावी मुकाबला रोचक हुआ

By भाषा | Updated: October 3, 2021 13:37 IST2021-10-03T13:37:33+5:302021-10-03T13:37:33+5:30

The election contest became interesting with the introduction of Trinamool and two regional parties in Goa politics. | गोवा की राजनीति में तृणमूल और दो क्षेत्रीय दलों के पदार्पण से चुनावी मुकाबला रोचक हुआ

गोवा की राजनीति में तृणमूल और दो क्षेत्रीय दलों के पदार्पण से चुनावी मुकाबला रोचक हुआ

पणजी, तीन अक्टूबर गोवा के राजनीतिक परिदृश्य में तृणमूल कांग्रेस के पदार्पण और दो क्षेत्रीय दलों द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा करने से मुकाबला रोचक हो गया है जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, विपक्षी दल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिवसेना अपने दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

‘रिवॉल्यूशनरी गोअन्स’ और ‘गोएन्चो आवाज’ वो दो क्षेत्रीय दल हैं जो पहली बार चुनाव में किस्मत आजमाएंगे। इनके अलावा गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) तथा महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) भी सत्ता की दौड़ में शामिल हैं।

भाजपा 2012 से सत्ता में है और लगातार तीसरी बार सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। भाजपा को लगता है कि चुनावी रण में जितनी ज्यादा पार्टियां होंगी, उसके लिए उतना अच्छा होगा क्योंकि इससे विपक्ष को मिलने वाले वोट बंटेंगे। पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस ने हाल में कहा था कि उसकी योजना गोवा की सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की है।

कांग्रेस के पूर्व विधायक लुईजिन्हो फालेयरो कुछ दिन पहले ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं। एमजीपी के पूर्व विधायक लावु ममलाकर भी ममता की पार्टी में सदस्य बन चुके हैं, लेकिन इसके बाद किसी अन्य स्थानीय प्रभावशाली नेता ने ऐसा नहीं किया है।

अरविंद केजरीवाल नीत आम आदमी पार्टी (आप) ने 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारे थे लेकिन उसका खाता तक नहीं खुला। इस बार भी ‘आप’ ने आगामी चुनाव लड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस सत्ता में लौटने को आतुर है और ऐसा लगता है कि वह समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन के लिए राजी नहीं है।

गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने हाल में इस बाबत पूछे जाने पर कहा था, “यह निर्णय लेना मेरा काम नहीं है। इस पर हाईकमान फैसला लेगा।” वर्ष 2017 में कांग्रेस ने 40 सदस्यीय विधानसभा में सबसे ज्यादा 17 सीटें हासिल की थीं और भाजपा को 13 सीटें मिली थीं। हालांकि, भाजपा ने क्षेत्रीय दलों के समर्थन से मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व में सरकार बना ली थी।

जीएफपी ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने की पहल की थी और उसका भी कहना है कि इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का भी गोवा में अस्तित्व है और चर्चिल अलेमाओ उसके एकमात्र विधायक हैं।

कुछ दिन पहले शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि उनकी पार्टी गोवा में अगले साल फरवरी में होने वाले चुनाव में 22 से 25 सीटों पर लड़ेगी। पार्टी ने एमजीपी के साथ मिलकर 2017 का चुनाव लड़ा था लेकिन कोई सीट नहीं जीत पायी थी। कुछ नेताओं का मानना है कि विपक्षी दलों को एक साथ आकर भाजपा को हराने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन भाजपा कड़ी टक्कर देने को तैयार नजर आती है।

भाजपा ने घोषणा की है कि वह मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी और इसके लिए सभी 40 सीटों पर तैयारी की जा रही है।

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Web Title: The election contest became interesting with the introduction of Trinamool and two regional parties in Goa politics.

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