ओमीक्रोन का असर कम रहने का अंदाजा, वैज्ञानिक मार्गदर्शन पर होगा बूस्टर देने का फैसला

By भाषा | Updated: December 3, 2021 22:40 IST2021-12-03T22:40:20+5:302021-12-03T22:40:20+5:30

The effect of Omicron is expected to be less, the decision to give booster will be on scientific guidance | ओमीक्रोन का असर कम रहने का अंदाजा, वैज्ञानिक मार्गदर्शन पर होगा बूस्टर देने का फैसला

ओमीक्रोन का असर कम रहने का अंदाजा, वैज्ञानिक मार्गदर्शन पर होगा बूस्टर देने का फैसला

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर देश में ओमीक्रोन स्वरूप के दो मामलों की पुष्टि के एक दिन बाद केंद्र ने शुक्रवार को कहा कि टीकाकरण की तेज रफ्तार और डेल्टा स्वरूप के व्यापक प्रसार के कारण इस नए स्वरूप का असर कम रहने का अंदाजा है। साथ ही कहा कि विशेषज्ञों के वैज्ञानिक मार्गदर्शन के आधार पर बूस्टर खुराक दिए जाने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।

हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बीमारी की अपेक्षित गंभीरता के वैज्ञानिक प्रमाण अभी भी सामने आ रहे हैं। इस बीच, बूस्टर खुराक दिए जाने के बारे में बहस तेज हो गई है और कई राज्यों ने जांच को तेज कर दिया है तथा संभावित रूप से अधिक संक्रामक स्वरूप के लिए निगरानी बढ़ा दी है। केंद्र ने बृहस्पतिवार को ओमीक्रोन स्वरूप के दो मामलों की पुष्टि की थी।

मंत्रालय ने कहा कि ‘‘ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह बताता हो कि मौजूदा टीके ओमीक्रोन पर काम नहीं करते हैं,हालांकि स्पाइक जीन पर पाए गये कुछ उत्परिर्वतन मौजूदा टीकों के असर को कम कर सकते हैं।’’

लोकसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि ओमीक्रोन संक्रमण के भारत में दो मामले सामने आए हैं तथा खतरे की श्रेणी वाले देशों से आये 16 हजार यात्रियों की आरटी-पीसीआर जांच में 18 लोग कोरोना वायरस संक्रमित पाये गये हैं जिनके जीनोम अनुक्रमण से यह पता लगाया जा रहा है कि इनमें से कितने इस नये स्वरूप से संक्रमित हैं। मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार को सभी सावधानियां बरतने को कहा है तथा हवाई अड्डे सहित अन्य स्थानों पर संक्रमण की जांच के लिये सभी एजेंसियों एवं प्रदेश सरकारों के साथ समन्वय बनाकर काम किया जा रहा है।

मांडविया ने बूस्टर खुराकों को लगाने के संदर्भ में कहा कि टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) और कोविड-19 के लिए टीका लगाने पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) इस पहलू के वैज्ञानिक साक्ष्यों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। मांडविया ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि टीके हाल ही में विकसित किये गये हैं, इसलिए उनके सुरक्षित बने रहने की अवधि के बारे में वैज्ञानिक साक्ष्य अभी दुनियाभर में शक्ल ही ले रहे हैं।

कोविड-19 के खिलाफ बूस्टर खुराक दिए जाने की मांग के बीच भारत के शीर्ष जीनोम वैज्ञानिकों ने कहा है कि 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को बूस्टर खुराक देने पर ‘‘विचार किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि इस आयु वर्ग के लोगों के संक्रमण की चपेट में आने का खतरा अधिक है।

यह सुझाव ‘भारतीय सार्स कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम’ (आईएनएसएसीओजी) के साप्ताहिक बुलेटिन में दिया गया है। सरकार ने आईएनएसएसीओजी की स्थापना कोविड-19 के जीनोम अनुक्रमण का विश्लेषण करने के लिए की थी। आईएनएसएसीओजी के बुलेटिन में कहा गया है, ‘‘ जिन लोगों को अधिक खतरा है, उनका टीकाकरण और 40 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को बूस्टर खुराक देने पर विचार किया जा सकता है। सबसे पहले, उन लोगों को लक्षित किया जाए, जिनके संक्रमित होने का खतरा सबसे अधिक है।’’

मंत्रालय ने ओमीक्रोन स्वरूप के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों (एफएक्यू) की एक सूची भी जारी की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे ‘चिंताजनक स्वरूप’ बताया है। नए स्वरूप के दो मामले बृहस्पतिवार को कर्नाटक में सामने आए।

मंत्रालय ने इस सूची के जरिए, मौजूदा टीकों के ओमीक्रोन स्वरूप के खिलाफ काम करने से जुड़े प्रश्न के उत्तर में कहा है ‘‘ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जो यह बताता हो कि मौजूदा टीके ओमीक्रोन पर काम नहीं करते हैं,हालांकि स्पाइक जीन पर पाए गये कुछ उत्परिर्वतन मौजूदा टीकों के असर को कम कर सकते हैं।’’

इसमें कहा गया है कि हालांकि एंटीबॉडी के द्वारा टीका सुरक्षा को अपेक्षाकृत बेहतर रूप से संरक्षित रखने की उम्मीद है। इसलिए, टीकों से गंभीर रोग के खिलाफ सुरक्षा मिलने की उम्मीद है और टीकाकरण जरूरी है।

कोरोना वायरस संक्रमण की तीसरी लहर की संभावना पर मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के बाहर के देशों से ओमीक्रोन के मामलों का सामने आना बढ़ता जा रहा है और इसकी जो विशेषता है उसके अनुसार इसके भारत सहित अधिक देशों में फैलने की संभावना है।

हालांकि, किस स्तर पर मामले बढ़ेंगे और रोग की गंभीरता को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत में टीकाकरण की तीव्र गति और डेल्टा स्वरूप के प्रभाव को देखते हुए इस रोग की गंभीरता कम रहने की उम्मीद है। हालांकि, वैज्ञानिक साक्ष्य अब तक नहीं आए हैं। ’’

महाराष्ट्र सरकार के कोविड-19 कार्यबल के एक सदस्य ने बताया कि सतर्कता, जीनोम अनुक्रमण, सीमा निगरानी में सुधार और टीकाकरण कुछ ऐसी चीजें हैं जो कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन से निपटने के लिए आवश्यक हैं। कार्यबल के सदस्य एवं मुंबई के एक अस्पताल में संक्रामक रोगों के सलाहकार डॉ. वसंत नागवेकर ने एक बयान में कहा कि हालांकि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन ओमीक्रोन चिंता का विषय जरूर है।

नागवेकर ने कहा, ‘‘हमें सतर्क रहने की जरूरत है। इस नए स्वरूप में 50 उत्परिवर्तन हुए हैं और इसने बहुत चिंता उत्पन्न की है। यह अधिक संक्रामक और प्रतिरक्षा-निरोधक भी हो सकता है। लेकिन अभी तक, इसके काई सबूत नहीं मिले हैं कि यह अधिक घातक संक्रमण है। दक्षिण अफ्रीका से मिले प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार अधिकतर युवा इसकी चपेट में आए हैं और इस स्वरूप के लक्षण मामूली हैं।’’

कर्नाटक में ओमीक्रोन स्वरूप के दो मामलों का पता चलने के एक दिन बाद राज्य सरकार ने शुक्रवार को 66 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी नागरिक की परीक्षण रिपोर्ट की जांच का आदेश दिया, जिससे उसे देश छोड़ने की अनुमति मिली। कम से कम 10 दक्षिण अफ्रीकी यात्रियों के बेंगलुरु पहुंचने के बाद लापता होने संबंधी खबरों के बीच सरकार ने अधिकारियों से मामले पर गौर करने, उन लोगों का तुरंत पता लगाने और जांच करने का निर्देश दिया।

पश्चिम बंगाल सरकार कोविड-19 रोधी टीके की बूस्टर खुराक का जल्द परीक्षण करने की योजना बना रही है और उसने विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में इसकी व्यवहार्यता के परीक्षण शुरू कर दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी तक छह अस्पतालों ने आगे आकर परीक्षणों का हिस्सा बनने की इच्छा जतायी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The effect of Omicron is expected to be less, the decision to give booster will be on scientific guidance

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे