अदालत विवाहितों के सेना की विधि ईकाई में शामिल होने पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर 11 जनवरी को करेगी सुनवाई

By भाषा | Updated: November 9, 2021 18:20 IST2021-11-09T18:20:20+5:302021-11-09T18:20:20+5:30

The court will hear on January 11 the petition filed against the ban on the marriage of married people from joining the army's law unit. | अदालत विवाहितों के सेना की विधि ईकाई में शामिल होने पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर 11 जनवरी को करेगी सुनवाई

अदालत विवाहितों के सेना की विधि ईकाई में शामिल होने पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर 11 जनवरी को करेगी सुनवाई

नयी दिल्ली, नौ नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह सेना की विधि शाखा ‘जज एडवोकेट जनरल’ (जेएजी) में शादीशुदा लोगों को शामिल करने पर रोक को चुनौती देने वाली याचिका पर 11 जनवरी को सुनवाई करेगा।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने का याचिकाकर्ता कुश कालरा का अनुरोध स्वीकार कर लिया और केंद्र सरकार को कोई भी अतिरिक्त हलफनामा दायर करने की इजाजत दे दी।

पीठ ने कहा, “मामले को 11 जनवरी 2022 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। अगर प्रतिवादी (केंद्र) कोई हलफनामा दायर करना चाहता है तो वह कर सकता है।”

याचिकाकर्ता ने कहा कि अधिकारियों ने नए विज्ञापन जारी किए हैं और युवा विधि स्नातकों से जेएजी पद के लिए आवेदन मांगे हैं।

आवेदन में जल्द सुनवाई का आग्रह करते हुए कहा गया है, “इस मामले को लंबे समय तक लंबित रखने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा और उक्त रिट याचिका के लंबित होने के कारण कई योग्य युवा विवाहित विधि स्नातक भारतीय सेना में अपनी वैवाहिक स्थिति के आधार पर जज एडवोकेट जनरल शाखा में लघु सेवा कमीशन (शामिल होने) से वंचित हैं, खासकर महिलाएं।”

वर्ष 2019 में, केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया था कि "विवाह का अधिकार" मौलिक अधिकार नहीं है और संविधान के तहत जीवन के अधिकार के दायरे में नहीं आता है। उसने दलील दी थी कि जेएजी विभाग या बल की किसी अन्य शाखा में वैवाहिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।

केंद्र ने एक हलफनामे में कहा था कि यह रोक पुरुष और महिला, दोनों पर है, क्योंकि शाखा में शामिल करने से पहले होने वाला प्रशिक्षण काफी कड़ा है और उनके शाखा में शामिल होने के बाद शादी करने या बच्चे पैदा करने पर कोई रोक नहीं है।

वर्ष 2017 तक शादीशुदा महिलाएं जेएजी विभाग में भर्ती के लिए योग्य नहीं होती थी लेकिन पुरुषों पर ऐसी कोई रोक नहीं थी। मगर 2016 में कालरा ने महिला अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव को लेकर इस नीति को चुनौती दी। इसके बाद सरकार ने अगस्त 2017 में इसमें बदलाव किया और पुरुष और महिला दोनों पर यह रोक लगा दी।

इसके बाद कालरा ने एक नई याचिका दायर कर विवाहित लोगों के प्रति कथित ‘भेदभाव’ को चुनौती दी। यह याचिका 2018 में वकील चारू वली खन्ना ने दायर की थी।

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Web Title: The court will hear on January 11 the petition filed against the ban on the marriage of married people from joining the army's law unit.

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