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अदालत ने यात्रियों के मास्क ठीक तरह से नहीं पहनने की स्थिति पर संज्ञान लिया

By भाषा | Updated: March 9, 2021 17:43 IST

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नयी दिल्ली, नौ मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने उड़ानों में यात्रियों द्वारा मास्क ठीक से नहीं पहनने की "चिंताजनक स्थिति" पर कड़ा संज्ञान लिया है और इस संबंध में सख्त अनुपालन के लिए सभी घरेलू एयरलाइंस और डीजीसीए को दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें उल्लंघनकर्ताओं के लिए दंडात्मक कार्रवाई और विमान की समय-समय पर जांच करना शामिल है।

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने देखा कि यात्री हवाई अड्डे से उड़ान तक जाने के दौरान ठीक तरह से मास्क नहीं पहने हुए थे। उन्होंने स्थिति का स्वत: संज्ञान लिया और अनुपालन के लिए तत्काल दिशानिर्देश जारी किए।

उच्च न्यायालय ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा वह एक खतरनाक स्थिति के कारण आदेश पारित करने के लिए विवश हुआ जिसे न्यायाधीश ने गत पांच मार्च को कोलकाता से नयी दिल्ली के लिए एयर इंडिया की उड़ान के दौरान खुद देखा था।

इसमें कहा गया, यह देखा गया कि सभी यात्रियों ने मास्क लगा रखे थे, लेकिन कई ने मास्क अपनी ठुड्डी के नीचे पहना हुआ था। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह व्यवहार न केवल हवाई अड्डे से विमान में जाने के दौरान, बल्कि उड़ान के भीतर भी देखा गया। यात्रियों को बार-बार (मेरे द्वारा) टोके जाने पर उन्होंने अपने मास्क ठीक से पहने। न्यायाधीश ने कहा कि चालक दल के सदस्यों से इस संबंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि सभी यात्रियों को मास्क पहनने के लिए निर्देशित किया था, लेकिन यदि उन्होंने इसका पालन नहीं किया तो वे असहाय हैं।’’

अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति तब है जब देश में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ रहे हैं। अदालत ने कहा, ‘‘किसी उड़ान में यात्री बंद वातानुकूलित वातावरण में होते हैं और भले ही यात्रियों में से कोई एक भी कोविड-19 से पीड़ित हो, तो भी अन्य यात्रियों पर इसका खतरनाक प्रभाव हो सकता है।’’

अदालत द्वारा तत्काल और सख्त अनुपालन के लिए तैयार किए गए दिशानिर्देशों में उड़ान के चालक दल के सदस्यों द्वारा विमान की आवधिक जांच करना शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यात्री प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं, खासकर मास्क पहनने के संबंध में।

अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि मास्क सरकारी निर्देशों के अनुसार पहना जाना चाहिए। मास्क से नाक और मुंह ढंका होना चाहिए। अदालत ने कहा कि यदि कोई यात्री उड़ान भरने से पहले इस प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए तैयार नहीं है, तो उसे बिना देरी किए नीचे उतारा जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि यदि याद दिलाए जाने के बावजूद, वह प्रोटोकॉल का पालन करने से इनकार करता है तो यात्री के खिलाफ डीजीसीए या स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए, जिसमें उसे या तो स्थायी या एक निर्धारित अवधि के लिए 'नो-फ्लाई' व्यवस्था में डालना शामिल है।

उच्च न्यायालय ने डीजीसीए को अपनी वेबसाइट पर यात्रियों और विमान के चालक दल के सदस्यों द्वारा दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल का पालन करने के निर्देशों को तुरंत और प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए कहा।

अदालत ने कहा कि मामले को एक जनहित याचिका (जनहित याचिका) के रूप में पंजीकृत किया जाना चाहिए और 17 मार्च को जनहित याचिका की सुनवायी करने वाली एक उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

अदालत ने डीजीसीए और एयर इंडिया को दिशानिर्देशों के अनुपालन के संबंध में पीठ के समक्ष अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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