हनी बाबू की चिकित्सकीय सहायता के अनुरोध वाली याचिका पर अदालत ने अस्पताल के डीन को किया तलब

By भाषा | Updated: May 19, 2021 12:58 IST2021-05-19T12:58:03+5:302021-05-19T12:58:03+5:30

The court summoned the dean of the hospital on a petition requesting medical help of Honey Babu | हनी बाबू की चिकित्सकीय सहायता के अनुरोध वाली याचिका पर अदालत ने अस्पताल के डीन को किया तलब

हनी बाबू की चिकित्सकीय सहायता के अनुरोध वाली याचिका पर अदालत ने अस्पताल के डीन को किया तलब

मुंबई, 19 मई एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के सह-प्राध्यापक हनी बाबू ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय का रुख करते हुए कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आंख में हुए संक्रमण के लिए चिकित्सकीय सहायता मांगी।

बाबू के वकील युग चौधरी ने अवकाशकालीन पीठ से याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया, क्योंकि बाबू पिछले सप्ताह कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे और ‘ब्लैक फंगस’ की वजह से उनकी आंख में भी संक्रमण हो गया है।

न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े इस अवकाशकालीन पीठ का हिस्सा है।

‘म्यूकरमाइकोसिस’ को या ‘ब्लैक फंगस’ भी कहा जाता है और यह एक दुर्लभ गंभीर संक्रमण है, जो कोविड-19 के कई मरीजों में पाया जा रहा है।

बाबू को सरकारी जीटी अस्पातल में भर्ती कराया गया है और वहां उनका कोविड-19 का इलाज चल रहा है, लेकिन आंख के संक्रमण का नहीं।

वकील चौधरी ने अदालत से कहा, ‘‘ हनी बाबू को ‘ब्लैक फंगस’ की वजह से आंख में संक्रमण हो गया है। नौ दिन तक वह जेल में भी परेशान हुए। अब वह जीटी अस्पाल में हैं। वहां उनका केवल कोविड-19 का इलाज चल रहा है और आंख में संक्रमण का नहीं। उनकी आंख की रोशनी भी जा सकती है। वह एक शिक्षाविद् हैं।’’

पीठ ने इसके बाद जीटी अस्पताल के डीन को बुधवार दोपहर तीन बजे मामले की सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया।

बाबू (55) को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने पिछले साल जुलाई में गिरफ्तार किया गया था। इलाज के लिए पिछले सप्ताह उन्हें पहले जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में जीटी अस्पताल में भर्ती किया गया।

पुलिस के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसम्बर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिया था, जिससे अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी।

यह भी आरोप है कि इस कार्यक्रम को कुछ मओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था।

मामले की जांच बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले ली थी।

मामले में सुधा भारद्वाज, वरवरा राव सहित कई कार्यकर्ताओं को मामले में गिरफ्तार किया गया है।

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