अदालत ने काम के दौरान घायल हुए पल्लेदारों की सूची, उन्हें लगी चोटों की प्रकृति पर जानकारी मांगी

By भाषा | Updated: December 16, 2021 18:39 IST2021-12-16T18:39:44+5:302021-12-16T18:39:44+5:30

The court sought information on the list of the Palledars who were injured during the work, the nature of the injuries suffered by them. | अदालत ने काम के दौरान घायल हुए पल्लेदारों की सूची, उन्हें लगी चोटों की प्रकृति पर जानकारी मांगी

अदालत ने काम के दौरान घायल हुए पल्लेदारों की सूची, उन्हें लगी चोटों की प्रकृति पर जानकारी मांगी

कोच्चि, 16 दिसंबर केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को राज्य सरकार से काम संबंधी जख्मों का मुआवजा मांगने वाले पल्लेदारों की सूची और उन्हें लगी चोट की प्रकृति के संबंध में जानकारी मांगी।

न्यायमूर्ति देवान रामचन्द्रन की एकल पीठ ने कहा कि उन्हें कई महिलाओं की चिट्ठियां मिली हैं जिन्होंने दावा किया है कि उनके पति पल्लेदार का काम करते थे लेकिन काम के दौरान चोट लगने के कारण वह काम करने की स्थिति में नहीं है, और इसी वजह से वह इस संबंध में जानकारी मांग रहे हैं।

न्यायमूर्ति रामचंद्रन ने कहा कि उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे पल्लेदारों के सैकड़ों मामले हैं।

उन्होंने कहा कि काम के दौरान पल्लेदारों को लगी चोटों को ध्यान में रखते हुए ‘‘अब इस काम को आधुनिक बनाने’’ की जरुरत है और पल्लेदार कामगार कल्याण बोर्ड को इस बारे में बताना होगा।

अदालत ने पल्लेदारों से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए यह सूचना भी मांगी।

न्यायमूर्ति रामचन्द्रन ने कहा कि वह उनकी पीठ इस संबंध में दो दिन पहले की गई टिप्पणी के संदर्भ में जानकारी चाहती है।

अदालत ने मंगलवार को कहा था कि एक व्यक्ति द्वारा अपने सिर पर या शरीर पर बोझ ढोना ‘‘अमानवीय कार्य’’ है और इसकी अनुमति देने वाला ‘पल्लेदार कानून’ पुरातन काल का हो गया है।

अदालत ने कहा था कि राज्य को ऐसे कामगारों की तकलीफें दूर करने के लिए कदम उठाने होंगे।

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘पल्लेदारी खत्म करनी होगी, सामान ढोना नहीं। यह (पल्लेदारी) अमानवीय कार्य है। हम अपने लोगों को इस तरह से कैसे प्रताड़ित कर सकते हैं।

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Web Title: The court sought information on the list of the Palledars who were injured during the work, the nature of the injuries suffered by them.

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