अदालत ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश रद्द किया

By भाषा | Updated: January 25, 2021 22:52 IST2021-01-25T22:52:30+5:302021-01-25T22:52:30+5:30

The court quashed the order to extend the term of the Uttar Pradesh Sunni Waqf Board | अदालत ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश रद्द किया

अदालत ने उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश रद्द किया

प्रयागराज, 25 जनवरी इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के मौजूदा संचालक मंडल का कार्यकाल बढ़ाने का प्रदेश सरकार का आदेश सोमवार को रद्द कर दिया। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग के प्रमुख सचिव ने 30 सितंबर, 2020 को कार्यकाल बढ़ाने का आदेश पारित किया था।

कार्यकाल बढ़ाने के आदेश को रद्द करते हुए अदालत ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के दैनिक कार्यों को देखने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग के प्रमुख सचिव को इस बोर्ड का प्रशासक नियुक्त किया।

अदालत ने कहा, “हालांकि प्रशासक इस बोर्ड से जुड़े नीतिगत निर्णय करने के लिए पात्र नहीं होगा और 28 फरवरी, 2021 को या इससे पूर्व चुनाव कराके निर्वाचित बोर्ड को कार्यभार सौंपना सुनिश्चित करेगा।”

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की पीठ ने वसीमुद्दीन द्वारा दायर एक रिट याचिका और अल्लामह जमीर नकवी एवं अन्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ताओं ने एक जुलाई, 2020 और 30 सितंबर, 2020 को अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा पारित आदेशों की वैधता को चुनौती दी थी।

इन आदेशों के जरिए राज्य सरकार ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल बढ़ा दिया था क्योंकि लॉकडाउन के दौरान चुनाव कराना संभव नहीं था। बोर्ड़ का कार्यकाल 1 अप्रैल, 2020 को समाप्त हो गया था।

इन याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि 1995 का कानून राज्य सरकार को निर्वाचित बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाने का अधिकार नहीं देता। राज्य सरकार ने अपने अधिकार के परे जाकर बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाया है।

अदालत ने संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा, “निर्वाचित वक्फ बोर्ड का कार्यकाल पांच साल का होता है और पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पूर्व चुनाव कराना आवश्यक है जिससे नया बोर्ड कार्यभार संभाल सके।”

अदालत ने कहा, “कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि 31 मई, 2020 तक पूरे देश में लॉकडाउन को लेकर सख्ती थी और इस दौरान कोई चुनाव नहीं हो सका। ऐसी परिस्थितियों में बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाना अपरिहार्य था।”

स्थिति में सुधार के बाद कार्यकाल विस्तार पर अदालत ने कहा, “राज्य सरकार यदि पर्याप्त रूप से सजग रहती तो अगस्त और सितंबर, 2020 के महीनों में चुनाव कराए जा सकते थे।”

अदालत ने स्पष्ट किया कि बढ़े हुए कार्यकाल के दौरान वक्फ बोर्ड द्वारा लिए गए प्रशासनिक निर्णय, कार्यकाल विस्तार के आदेश को दरकिनार किए जाने के आधार पर अमान्य नहीं होंगे।

उल्लेखऩीय है कि वक्फ कानून, 1995 के मुताबिक, इस बोर्ड की नियुक्ति 1 अप्रैल, 2015 को पांच वर्ष के लिए की गई थी और बोर्ड का कार्यकाल 1 अप्रैल, 2020 को समाप्त हो गया, लेकिन सभी व्यवहारिक उद्देश्यों के लिए यह काम करता रहा और सरकार ने लॉकडाउन के चलते कार्यकाल बढ़ा दिया।

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Web Title: The court quashed the order to extend the term of the Uttar Pradesh Sunni Waqf Board

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