न्यायालय ने किसान आन्दोलन हल करने के लिये समिति गठित करने का संकेत दिया

By भाषा | Updated: December 16, 2020 19:08 IST2020-12-16T19:08:59+5:302020-12-16T19:08:59+5:30

The court indicated to constitute a committee to solve the peasant movement | न्यायालय ने किसान आन्दोलन हल करने के लिये समिति गठित करने का संकेत दिया

न्यायालय ने किसान आन्दोलन हल करने के लिये समिति गठित करने का संकेत दिया

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि ‘‘यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है।’’

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘आप विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है। आपकी बातचीत विफल होनी ही है। आप कह रहे कि हम बातचीत के लिये तैयार हैं।’’

केन्द्र की ओर मेहता ने जवाब दिया, ‘‘हां, हम किसानों से बातचीत के लिये तैयार हैं।’’

पीठ ने जब मेहता से कहा कि उन किसान संगठनों के नाम दीजिये जो दिल्ली सीमा को अवरूद्ध किये हैं तो उन्होंने कहा कि वह सिर्फ उन लोगों के नाम बता सकते हैं जिनके साथ सरकार की वार्ता चल रही है।

मेहता ने कहा, ‘‘वे भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों के सदस्य हैं जिनके साथ सरकार बात कर रही है।’’ उन्होने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों से बातचीत कर रही है और उन्होंने न्यायालय को उनके नाम बताये।

मेहता ने कहा, ‘‘अब, ऐसा लगता है कि दूसरे लोगों ने किसान आन्दोलन पर कब्जा कर लिया है।’’

मेहता ने कहा कि किसान और सरकार बातचीत कर रहे हैं और सरकार उनके साथ बातचीत के लिये तैयार है।

सालिसीटर जनरल ने कहा, ‘‘समस्या उनके (किसानों) इस नजरिये में है कि आप या तो इन कानूनों को खत्म कीजिये अन्यथा हम बात नहीं करेंगे। वे बातचीत के दौरान ‘हा’ या ‘न’ के पोस्टर लेकर आये थे। उनके साथ मंत्रीगण बातचीत कर रहे थे और वे किसानों के साथ चर्चा करना चाहते थे लेकिन वे (किसान संगठनों के नेताओं) ने कुर्सियां मोड़कर पीठ दिखाते हुये ‘हां’ या ‘न’ के पोस्टरों के साथ बैठ गये ।’’

इन कथन का संज्ञान लेते हुये न्यायालय ने विभिन्न पक्षकारों की ओर से पेश वकीलों से कहा कि वह क्या करने की सोच रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस विवाद को हल करने के लिये एक समिति गठित करेंगे। हम समिति में सरकार और किसानों के संगठनों के सदस्यों को शामिल करेंगे। यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है। हम इसमें देश के अन्य किसान संगठनों के सदस्यों को भी शामिल करेंगे। आप समिति के लिये प्रस्तावित सदस्यों की सूची दीजिये।’’

इस मामले में कई याचिकायें दायर की गयी है जिनमें दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तुरंत हटाने के लिये न्यायालय में कई याचिकायें दायर की गयी हैं। इनमें कहा गया है कि इन किसानों ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाएं अवरूद्ध कर रखी हैं जिसकी वजह से आने जाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है और इतने बड़े जमावड़े की वजह से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का भी खतरा उत्पन्न हो रहा है।

न्यायालय ने इन याचिकाओं पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी किये।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे विरोध प्रदर्शन कर रही किसान यूनियनों को भी इसमें पक्षकार बनायें। न्यायालय इस मामले में बृहस्पतिवार को आगे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया है।

मेहता ने कहा कि सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत चल रही थी और ‘‘सरकार ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जो किसानों के हित के खिलाफ हो।’’

न्यायालय में याचिका दायर करने वालों में कानून के छात्र ऋषभ शर्मा, अधिवक्ता रीपक कंसल और जी एस मणि भी शामिल हैं। याचिकाओं में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने और इस विवाद का सर्वमान्य समाधान खोजने का अनुरोध किया गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे और इसका जवाब कल तक देना होगा क्योंकि शीतकालीन अवकाश के लिये शुक्रवार से न्यायालय बंद हो रहा है।’’

पीठ ने मेहता को विरोध प्रदर्शन कर रही किसान यूनियन के नाम पेश करने का निर्देश दिया और याचिकाकर्ताओं से कहा कि उन्हें भी इसमें पक्षकार बनाया जाये।

मामले की सुनवाई शुरू होते ही ऋषभ शर्मा की ओर से अधिवक्ता ओम प्रकाश परिहार ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली की सीमायें अवरूद्ध कर रखी हैं जिससे जनता को असुविधा हो रही है।

उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में सड़के अवरूद्ध किये जाने के खिलाफ अधिवक्ता अमित साहनी की याचिका पर शीर्ष अदालत के सात अक्टूबर के फैसले का भी हवाला दिया और कहा कि विरोध प्रदर्शन के लिये सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि कानून व्यवस्था के मामले में कोई नजीर हो सकती है और वह सभी पक्षों को सुनने के बाद ही कोई आदेश पारित करेगी।

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Web Title: The court indicated to constitute a committee to solve the peasant movement

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