लाइव न्यूज़ :

अदालत ने सर्कस के लिए पंजीकृत पशुओं एवं निरीक्षण में मिले पशुओं की संख्या में अंतर पर जताई हैरानी

By भाषा | Updated: November 17, 2020 17:51 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 17 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने देशभर में सर्कसों के निरीक्षण के दौरान भारतीय जीव जन्तु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) द्वारा पाए गए पशुओं की संख्या और उसके पास पंजीकृत पशुओं की संख्या में बड़े अंतर को मंगलवार को ‘‘गंभीर’’ और ‘‘हैरान’’ करने वाला करार दिया।

अदालत ने एडब्ल्यूबीआई और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) को लापता पशुओं के बारे में पता लगाने को कहा।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने एडब्ल्यूबीआई और सीजेडए को अपने शपथपत्रों में उनके पास पंजीकृत सर्कस के सभी पशुओं की स्थिति की जानकारी देने का आदेश दिया और मामले को आगे की सुनवाई जनवरी 2021 तक के लिए स्थगित कर दिया।

दरअसल, भारतीय पशु संरक्षण संगठन के परिसंघ (एफआईएपीओ) ने अदालत को सूचित किया था कि एडब्ल्यूबीआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार उसके पास सर्कस के करीब 740 पशु पंजीकृत हैं, लेकिन सर्वेक्षण में उसे केवल 28 जानवर ही मिले।

अदालत ने एडब्ल्यूबीआई से कहा, ‘‘यह गंभीर मामला है। आपके पास पंजीकृत 740 में से केवल 28 जानवरों की जानकारी उपलब्ध है। शेष का क्या हुआ?’’

अदालत ने इस बात का भी जवाब मांगा कि बोर्ड ने देश के 28 सर्कसों में से केवल 19 सर्कस का ही निरीक्षण क्यों किया।

अदालत ने बोर्ड से यह भी जानकारी देने को कहा कि कितने सर्कस इस समय चालू हैं और जो सर्कस बंद हो गए हैं, उनके पशुओं का क्या हुआ।

सीजेडए के एक अधिकारी ने सुनवाई के दौरान पीठ को बताया कि बंद हो चुके सर्कस के पशु और एडब्ल्यूबीआई के तहत पंजीकृत नहीं किए गए पशुओं का मामला संबंधित राज्य वन्यजीव प्राधिकरण की जिम्मेदारी है।

अदालत ने जानवरों पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ काम करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल’ (पेटा) और भारतीय पशु संरक्षण संगठन के परिसंघ (एफआईएपीओ) की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।

इससे पहले, सीजेडए ने अदालत को बताया था कि गुजरात का ‘ग्रेट गोल्डन सर्कस’ पूरे देश में एकमात्र ऐसा सर्कस है जिसे वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत मान्यता प्राप्त है और प्राधिकारी इसकी मान्यता वापस लेने की प्रक्रिया आगे बढ़ा रहे हैं।

याचिका में दावा किया गया है कि कोविड-19 संक्रमण और इसके कारण लागू किए गए लॉकडाउन के कारण सर्कसों के लिए पशुओं को भोजन उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है और ये पशु भुखमरी के विभिन्न चरणों में हैं।

याचिका में केंद्र को 2018 के पशु प्रदर्शन (पंजीकरण) संशोधन नियम तत्काल अधिसूचित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। यह अधिनियम सर्कस में कलाबाजी दिखाने वाले पशुओं का प्रदर्शन करने और उनके प्रशिक्षण पर रोक लगाता है।

एफआईएपीओ ने पशु क्रूरता निवारण कानून की धारा 21 से धारा 27 तक की वैधता को चुनौती दी है क्योंकि वे सर्कस में पशुओं के प्रदर्शन और इसके लिए उनके प्रशिक्षण की अनुमति देते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटसबसे आगे विराट कोहली, 20 बार प्लेयर ऑफ़ द सीरीज पुरस्कार, देखिए लिस्ट में किसे पीछे छोड़ा

ज़रा हटकेShocking Video: तंदूरी रोटी बनाते समय थूक रहा था अहमद, वीडियो वायरल होने पर अरेस्ट

क्राइम अलर्ट4 महिला सहित 9 अरेस्ट, घर में सेक्स रैकेट, 24400 की नकदी, आपतिजनक सामग्री ओर तीन मोटर साइकिल बरामद

क्रिकेटYashasvi Jaiswal maiden century: टेस्ट, टी20 और वनडे में शतक लगाने वाले छठे भारतीय, 111 गेंद में 100 रन

क्रिकेटVIRAT KOHLI IND vs SA 3rd ODI: 3 मैच, 258 गेंद, 305 रन, 12 छक्के और 24 चौके, रांची, रायपुर और विशाखापत्तनम में किंग विराट कोहली का बल्ला

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत