इंदिरा गांधी अस्पताल को संचालित करने के मुद्दे पर अदालत ने दिल्ली सरकार से नाराजगी जताई

By भाषा | Updated: May 12, 2021 16:17 IST2021-05-12T16:17:09+5:302021-05-12T16:17:09+5:30

The court expressed displeasure with the Delhi government over the issue of operating Indira Gandhi Hospital | इंदिरा गांधी अस्पताल को संचालित करने के मुद्दे पर अदालत ने दिल्ली सरकार से नाराजगी जताई

इंदिरा गांधी अस्पताल को संचालित करने के मुद्दे पर अदालत ने दिल्ली सरकार से नाराजगी जताई

नयी दिल्ली, 12 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1,241 बिस्तर वाले इंदिरा गांधी अस्पताल के अब तक पूर्ण रूप से संचालित नहीं होने को लेकर बुधवार को दिल्ली सरकार से नाराजगी जताई। इस अस्पताल में अभी केवल 80 बेड ही उपलब्ध हैं वो भी कोविड के गैर गंभीर मरीजों के लिए हैं। इस पर अदालत ने कहा कि राज्य को महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान लोगों के ‘‘कड़वे अनुभवों’’ से सीख लेनी चाहिए।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अस्पताल को पूरा करने के काम को यदि गंभीरता से लिया होता तो अब तक यह तैयार हो चुका होता और इसका संचालन हो रहा होता।

वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ से कहा था कि इस अस्पताल को पूरा करने का काम अत्यावश्यक नहीं था क्योंकि वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में करीब 4,500 बेड उपलब्ध हैं।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘जैसा कि कई विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं, यदि तीसरी लहर (महामारी की) आती है और आपका संस्थान पूरी तरह से तैयार नहीं है तो हमें फिर से इस हालात का सामना करना पड़ेगा।’’

मेहरा ने कहा था कि बड़ी संख्या में बेड की उपलब्धता को देखते हुए अस्पताल को पूर्ण रूप से क्रियाशील करने की कोई ‘‘गंभीर आवश्यकता’’ नहीं है।

पीठ ने कहा कि भले दिल्ली सरकार का यह कहना है कि बेड की उपलब्धता संबंधी हालात में सुधार आया है लेकिन कुछ दिन पहले तक के जो हालात थे उन्हें अदालत भूल नहीं सकती जब कोविड-19 के मरीज ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की खातिर, अस्पताल में भर्ती होने के लिए दर-दर भटक रहे थे। कई लोगों को तो उपचार तक नहीं मिल पाया और उनकी मृत्यु हो गई।

अदालत ने कहा कि विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी की तीसरी और बड़ी लहर आएगी, ऐसे में राज्य को संसाधनों का पूरा इस्तेमाल करते हुए स्वास्थ्य देखभाल संबंधी परियोजनाओं को पूरा करना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द परिचालन योग्य बनाना चाहिए।

इस पर मेहरा ने कहा कि राज्य की ओर से कोई ढिलाई नहीं बरती गई है बल्कि केंद्र सरकार ने अपने वादे के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी को बेड आवंटित नहीं किए।

अदालत ने इस बाबत दस दिन के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए मामले को 24 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

अदालत को सूचित किया गया था कि इंदिरा गांधी अस्पताल में महज 80 बेड ही उपलब्ध हैं और उनमें से केवल आठ पर मरीज भर्ती हैं। उसे बताया गया था कि अस्पताल में पाइप्ड ऑक्सीजन, आईसीयू बेड और वेंटीलेटर भी उपलब्ध नहीं हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The court expressed displeasure with the Delhi government over the issue of operating Indira Gandhi Hospital

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे