न्यायालय ने चालक को मुआवजा देने संबंधी आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की अपील खारिज की

By भाषा | Updated: July 9, 2021 20:46 IST2021-07-09T20:46:06+5:302021-07-09T20:46:06+5:30

The court dismissed the appeal of the Bihar government against the order to give compensation to the driver. | न्यायालय ने चालक को मुआवजा देने संबंधी आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की अपील खारिज की

न्यायालय ने चालक को मुआवजा देने संबंधी आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की अपील खारिज की

नयी दिल्ली, नौ जुलाई उच्चतम न्यायालय ने बगैर किसी प्राथमिकी के एक वाहन चालक को 35 दिन तक पुलिस हिरासत में रखने के मामले में पांच लाख रुपये का मुआवजा देने संबंधी पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बिहार सरकार की अपील शुक्रवार को खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक वाहन चालक जैसे साधारण व्यक्ति और एक प्रभावशाली व्यक्ति को उसकी आजादी से वंचित करने के मामले में किसी प्रकार का विभेद नहीं किया जा सकता।

उच्चतम न्यायालय ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि एक दूध वैन के चालक को पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान बिना किसी कारण के हिरासत में लिया गया था। न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि ‘‘बिहार राज्य में पुलिस राज चल रहा है।’’

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने शुरू में कहा कि बिहार सरकार को पिछले साल 22 दिसंबर के पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर नहीं करनी चाहिए थी।

बिहार की ओर से पेश अधिवक्ता देवाशीष भरुका ने कहा कि राज्य ने थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की है और अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी है। उन्होंने कहा कि उनकी बात केवल यह है कि वह एक चालक था और उसे पांच लाख रुपये का मुआवजा देय नहीं हो सकता है।

पीठ ने कहा कि चालक जैसे एक विनम्र, साधारण व्यक्ति और एक प्रभावशाली व्यक्ति को उसकी आजादी से वंचित करने के मामले में किसी प्रकार का विभेद नहीं किया जा सकता। उसने कहा कि चालक को बिना किसी कारण के हिरासत में लिया गया था और यहां तक कि कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई थी, जो कि उच्च न्यायालय के समक्ष मामले में डीआईजी द्वारा दायर रिपोर्ट से स्पष्ट है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह क्या हो रहा है? बिहार राज्य में बिल्कुल पुलिस राज चल रहा है।’’ भरुका ने कहा कि चालक अपनी मर्जी से वहां था। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘उस व्यक्ति को बिना किसी प्राथमिकी दर्ज किए कई दिनों तक हिरासत में रखा गया था। आप इसे कैसे सही ठहरा सकते हैं।’’

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में बिहार सरकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपने मौलिक अधिकार के उल्लंघन के लिए चालक जितेंद्र कुमार को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था और कहा था कि राशि का भुगतान छह सप्ताह की अवधि के भीतर किया जाये। उसने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने और तीन महीने की अवधि के भीतर इसे पूरा करने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि पिछले साल 29 अप्रैल को सारण जिले के परसा थाना क्षेत्र में दूध के एक टैंकर को जब्त किया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता के अनुसार, टैंकर को पास की एक डेयरी में ले जाया गया और उसके बाद उसे थाने में हिरासत में रखा गया।

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Web Title: The court dismissed the appeal of the Bihar government against the order to give compensation to the driver.

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