हनी ट्रैप कांड के शिकायतकर्ता अफसर ने विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया : मप्र उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: July 6, 2021 20:49 IST2021-07-06T20:49:50+5:302021-07-06T20:49:50+5:30

The complainant officer of the Honey Trap scandal abused the privileges shamelessly: MP High Court | हनी ट्रैप कांड के शिकायतकर्ता अफसर ने विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया : मप्र उच्च न्यायालय

हनी ट्रैप कांड के शिकायतकर्ता अफसर ने विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया : मप्र उच्च न्यायालय

इंदौर, छह जुलाई मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने राज्य के कुख्यात हनी ट्रैप कांड के शिकायतकर्ता अफसर की यह कहते हुए खिंचाई की है कि उसने अपने पद के विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया और खुद को अनैतिक लोगों का आसान निशाना बनने दिया।

उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने हनी ट्रैप कांड की तीन महिला आरोपियों की जमानत याचिकाएं मंजूर करते हुए अपने आदेश में यह टिप्पणी की है। ये आरोपी पिछले 22 महीनों से न्यायिक हिरासत के तहत स्थानीय जेल में बंद हैं।

अदालत ने इनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद एक जुलाई को आदेश सुरक्षित रख लिया था जिसकी प्रति आरोपियों के वकीलों को मंगलवार (छह जुलाई) को प्राप्त हुई। इसमें एकल पीठ ने मामले के गुण-दोषों पर टिप्पणी किए बगैर तीनों महिला आरोपियों को 50,000-50,000 रुपये की जमानत और इतनी ही रकम के मुचलके पर जेल से रिहा किए जाने को कहा है।

बहरहाल, अदालत ने हनी ट्रैप कांड में इंदौर के पलासिया पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने वाले अधीक्षण इंजीनियर हरभजन सिंह (61) के बारे में कहा, "इस अदालत का सुविचारित मत है कि शिकायतकर्ता हरभजन सिंह ने अपने पद के विशेषाधिकारों का बेशर्मी से दुरुपयोग किया और उन्होंने खुद को अनैतिक व्यक्तियों का आसान निशाना बनने दिया।"

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता ने महिला आरोपियों के साथ लम्पटता से बात की तथा वह उनका अंतरंग साथ पाने को तैयार हो गया और जब चीजें उसके नियंत्रण से बाहर होने लगीं, तो उसने मदद के लिए झूठी चीख-पुकार मचानी शुरू कर दी।

उच्च पद पर आसीन किसी व्यक्ति के गुणों के रूप में ऊंचे स्तर की सत्यनिष्ठा, नैतिकता और ईमानदार चरित्र को रेखांकित करते हुए एकल पीठ ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ताओं (महिला आरोपियों) ने अनैतिक और स्त्रियों की गरिमा के विरुद्ध कृत्य किया है। लेकिन केवल उन्हें इस कृत्य के लिए पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि शिकायतकर्ता (सिंह) भी उसी प्रकार अपने कृत्य के लिए संभवत: अपेक्षाकृत ज्यादा जिम्मेदार है।"

गौरतलब है कि पुलिस ने सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज कर सितंबर 2019 में हनी ट्रैप गिरोह का खुलासा किया था। तब सिंह इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधीक्षण इंजीनियर के रूप में पदस्थ थे। हालांकि, बाद में उन्हें अनैतिक कार्य में शामिल होने के आरोप में निलंबित कर दिया गया था।

आईएमसी अफसर ने पुलिस को बताया था कि हनी ट्रैप गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी। ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार किए गए थे।

पुलिस ने इस मामले में एक स्थानीय अदालत में 16 दिसंबर 2019 को पेश आरोप पत्र में कहा था कि संगठित गिरोह मानव तस्करी के जरिये भोपाल लायी गयी युवतियों के इस्तेमाल से धनवान लोगों और ऊंचे ओहदों पर बैठे लोगों को अपने जाल में फांसता था। फिर उनके अंतरंग पलों के वीडियो, सोशल मीडिया चैट के स्क्रीनशॉट आदि आपत्तिजनक सामग्री के आधार पर उन्हें ब्लैकमेल करता था।

आरोप पत्र के मुताबिक हनी ट्रैप गिरोह ने उसके जाल में फंसे रसूखदारों को धमकाकर उनसे सरकारी कारिंदों की "ट्रांसफर-पोस्टिंग" की सिफारिशें तक कराई थीं और इन कामों के आधार पर भी अवैध लाभ कमाया था।

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Web Title: The complainant officer of the Honey Trap scandal abused the privileges shamelessly: MP High Court

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