Jammu-Kashmir and Ladakh: अजीबो गरीब हैं जम्मू कश्मीर और लद्दाख की सीमाएं

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: April 29, 2025 10:04 IST2025-04-29T10:04:23+5:302025-04-29T10:04:57+5:30

Jammu-Kashmir and Ladakh: अर्थात इस पर निशानदेही की गई है जो यह दर्शाती है कि दोनों देशों की हद यहां तक आकर खत्म होती है।

The borders of Jammu and Kashmir and Ladakh are strange | Jammu-Kashmir and Ladakh: अजीबो गरीब हैं जम्मू कश्मीर और लद्दाख की सीमाएं

Jammu-Kashmir and Ladakh: अजीबो गरीब हैं जम्मू कश्मीर और लद्दाख की सीमाएं

Jammu-Kashmir and Ladakh:  पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर राज्य के दो टुकड़े करने और उसकी पहचान खत्म किए जाने की कवायद से पहले जम्मू कश्मीर में दो देशों-पाकिस्तान तथा चीन-की कुल 2062 किमी लम्बी सीमा लगती थी। हालांकि इसमें से 1202 किमी लम्बी सीमा तो सबसे खतरनाक है जो पाकिस्तान के साथ सटी हुई है क्योंकि यह दिन रात आग उगलती रहती है। देश की जनता के लिए सीमा, सीमा ही होती है लेकिन वह यह नहीं समझ पाती है कि आखिर पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा पर तोपें आग क्यों उगलती रहती हैं। पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा तीन किस्म की है।

अंतरराष्ट्रीय सीमा: 

पाकिस्तान के साथ जम्मू कश्मीर की 264 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा भी है जो पंजाब राज्य के पहाड़पुर क्षेत्र से आरंभ होकर अखनूर सैक्टर में मनावर तवी के भूरेचक गांव तक जाती है। इसे अंतरराष्ट्रीय सीमा का नाम इसलिए दिया गया है क्योंकि इस पर संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्ववधान में सीमा बुर्जियों की स्थापना की गई है। अर्थात इस पर निशानदेही की गई है जो यह दर्शाती है कि दोनों देशों की हद यहां तक आकर खत्म होती है। और इस सीमा पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करते हुए कभी भी गोलीबारी न करने के निर्देश होते हैं जिसकी उल्लंघना पाकिस्तानी सेना की ओर से की जा रही है।

पाकिस्तान से सटी 264 किमी लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा का एक चौंकाने वाला पहलू यह भी है कि इसके भीतर भी कई स्थान ऐसे हैं जिन्हें वर्किंग बार्डर कहा जाता है। ऐसे स्थानों की संख्यां दस के करीब है। इन्हें वर्किंग बार्डर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सभी विवादास्पद क्षेत्र हैं। जिनमें कहीं सीमाबुर्जी का विवाद है तो कहीं कब्रिस्तान का। तो कहीं खेतीबाड़ी करने वाली जमीन का।

एलओसी अर्थात नियंत्रण रेखा बनाम युद्ध विराम रेखा: 

वर्ष 1949 में पाकिस्तान तथा भारत के बीच हुए कराची समझौते के अंतर्गत युद्ध को रोकने के बाद जो सीमा का निर्धारण किया गया था युद्धक्षेत्रों में उसे युद्धविराम रेखा अर्थात नियंत्रण रेखा के नाम से जाना जाता है। इसके मायने यही होते हैं कि युद्ध विराम के समय जिसका जिस स्थान पर कब्जा था वह वहीं तक रहेगा और इस प्रकार दोनों देशों के बीच इस युद्ध विराम रेखा अर्थात् नियंत्रण रेखा अर्थात मानसिक व अदृश्य रूप से दोनों देशों को बांटने वाली रेखा की लम्बाई 814 किमी है जो अखनूर सेक्टर के मनावर तवी के क्षेत्र के भूरेचक गांव से आरंभ होकर करगिल सेक्टर के उस स्थान पर जाकर समाप्त होती है जहां से सियाचिन हिमखंड की सीमा आरंभ होती है।

जिस स्थान पर यह नियंत्रण रेखा समाप्त होती है उस स्थान को एनजे-9842 का नाम दिया गया है जिसके मतलब हैं-पूर्वी अक्षांश पर 98 डिग्री और उत्तरी अक्षांश पर 42 डिग्री। जबकि इस नियंत्रण रेखा का रोचक पहलू यह है कि इस नियंत्रण रेखा पर पिछले 78 सालों में गोलीबारी कभी भी रूकी नहीं है जो अब जंग में तब्दील हो चुकी है।

वास्तविक जमीनी कब्जे वाली रेखा{एजीपीएल}: 

एजीपीएल अर्थात् सियाचिन हिमखंड की सीमा रेखा। जो 124 किमी लम्बी है। इसकी शुरूआत एनजे-9842 से आरंभ होती है और भारतीय दावे के अनुसार इसका अंतिम छोर के-2 पर्वत की चोटी के बाईं ओर इंद्र श्रृंखला के पास है तो पाकिस्तानी दावे के अनुसार यह एनजे-9842 के निशान से सीधे काराकोरम दर्रे पर जाकर खत्म होती है और यही झगड़ा 1984 से आरंभ हुआ है जिसका परिणाम यह है कि इस करीब 110 वर्ग किमी के लम्बे क्षेत्र में दोनों ही देशों के बीच विश्व के इस सबसे ऊंचे युद्धस्थल पर मूंछ की लड़ाई जारी है जिस पर प्रतिमाह कई सौ करोड़ रूपयों से अधिक का खर्चा भारतीय पक्ष को करना पड़ रहा है और इतना ही पाकिस्तानी पक्ष को भी।

पाकिस्तान से लगी जम्मू कश्मीर की सीमा
अंतरराष्ट्रीय सीमा    264 किमी
नियंत्रण रेखा    814 किमी
एजीपीएल    124 किमी
जम्मू कश्मीर का क्षेत्र
भारत के साथ    1,39,000 वर्ग किमी
पाकिस्तान के साथ 86,500 वर्ग किमी

Web Title: The borders of Jammu and Kashmir and Ladakh are strange

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे