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आतंकवाद गैर सरकारी तत्वों, गैर जिम्मेदार देशों का पसंदीदा हथियार : राजनाथ सिंह

By भाषा | Updated: October 14, 2021 18:22 IST

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नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर पाकिस्तान पर परोक्ष निशाना साधते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद को गैर सरकारी तत्वों और गैर जिम्मेदार देशों द्वारा क्षेत्र में अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिये पसंदीदा हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका विषय पर अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा का सिद्धांत महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है और समूह के सदस्य देशों को आतंकवाद जैसी चुनौतियों से सामूहिक रूप से निपटना होगा ।

उन्होंने कहा, ‘‘ सुरक्षा का सिद्धांत महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है । युद्ध की प्रकृति में बदलाव से खतरे हमारी सीमाओं से समाज के भीतर और लोगों तक पहुंच गए हैं ।’’

सिंह ने कहा कि आतंकवाद इसमें सबसे अधिक स्पष्ट है और इस वास्तविकता का शैतानी स्वरूप है।

रक्षा मंत्री ने डिजिटल माध्यम से सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ इसे गैर सरकारी तत्व और गैर जिम्मेदार देश अपने राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिये अपनी पसंद के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं । ’’

सिंह ने कहा कि एससीओ ने आतंकवाद के सभी स्वरूपों को खारिज किया है और स्पष्ट किया है कि इस बुराई के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं की बराबर भूमिका रही है और रहेगी ।

उन्होंने कहा, ‘‘ एससीओ ने एक संगठन के रूप में आतंकवाद के सभी स्परूपों को एक स्वर से खारिज किया है। इसकी हकीकत एससीओ के सभी नागरिकों को इस साझा खतरे के खिलाफ लड़ाई में उनकी भूमिका स्पष्ट करती है जो हमारे लिये चुनौतिपूर्ण है। ’’

उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हमारे क्षेत्र की आधी आबादी या एक देश नहीं जीत सकता है। इस लड़ाई में महिलाओं की भूमिका समान रही है और रहेगी, चाहे सशस्त्र बल हो या उससे आगे हो ।

रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका का संक्षित परिचय दिया ।

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘ हमारा भविष्य हमारे हाथ में है। यह एससीओ देशों पर निर्भर करता है कि वे क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करें, शांति को बढ़ावा दें तथा लैंगिक समानता एवं पूरे क्षेत्र की बेहतरी के लिये काम करें ।

सिंह ने कहा कि हम सशस्त्र बलों में विभिन्न कार्यो में महिलाओं की वृहद भूमिका एवं हिस्सेदारी को आशान्वित हैं।

वहीं, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा कि युद्ध की प्रकृति पारंपरिक रूप से परिवर्तित होकर हाइब्रिड और गैर सरकारी तत्वों से जुडी (ग्रे जोन वारफेयर) हो गई है तथा साइबर स्पेस तथा बाहरी अंतरिक्ष युद्ध के नये क्रांतिकारी क्षेत्र के रूप में उभर कर आये हैं ।

उन्होंने कहा कि इसके परिणाम स्वरूप आधुनिक समय में युद्ध में पुरूषों एवं महिलाओं की भूमिका में भेद दिन प्रति दिन कम हो गया है । महिलाओं ने लड़ाई में अपनी दृढता साबित की है।

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रीनत संधु ने कहा कि पिछले दशकों में भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिये नये आयाम खुले हैं और महिला सैन्य अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक मिशनों में वैश्विक सतर पर अपना स्थान बनाया है।

उन्होंने कहा कि भारत ने वर्ष 2007 में लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक अभियान में पहली बार सम्पूर्ण महिलाओं की पुलिस इकाई तैनात करके इतिहास रचा था ।

भारत की ओर से डिजिटल माध्यम से आयोजित इस सम्मेलन में एससीओ के लगभग सभी देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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